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महाशिवरात्रि की व्रत-कथा | ॐ नमः शिवाय
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मह श वर त र क व रत-कथ. फ़रवर 22, 2009 at 7:18 अपर ह न ( 1. Tags: मह श वर त र. मह श वर त र क व रत-कथ. एक ब र प र वत न भगव न श वश कर स प छ , ‘ऐस क न स श र ष ठ तथ सरल व रत-प जन ह , ज सस म त य ल क क प र ण आपक क प सहज ह प र प त कर ल त ह? पड़ व बन त समय उसन ज टहन य त ड़ , व स य ग स श वल ग पर ग र इस प रक र द नभर भ ख -प य स श क र क व रत भ ह गय और श वल ग पर ब लपत र भ चढ़ गए. म थ ड़ द र पहल ह ऋत स न व त त ह ई ह क म त र व रह ण ह अपन प र य क ख ज म भटक रह ह म अपन पत स म लकर श घ र ह त म ह र प स आ ज ऊ ग ’. 11 ट प पण य.
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: March 2009
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।. ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार. मंगलवार, 31 मार्च 2009. आज रेगिस्तान में इन्कलाब आ गया. जिससे टिककर सोए, टीला वो कहां गया. निशान तक मिटा दिए चंचल अनिल ने. पद्चिन्ह छोड़े थे जहां वो रस्ता कहां गया. रूठी रश्मियां चांद की, वहां जुगनू आ गया. हुआ जब भ्रमविच्छेद, धरातल पर आ गया. Links to this post. Labels: कविता. Posted by रचन...
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: July 2009
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।. ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार. शुक्रवार, 31 जुलाई 2009. मंज़िल. आंखों में जलते दीप लिए. हर मंजिल पर तुम्हारा साथ चाहिए. कुछ प्यार का अहसास चाहिए. रहें गर दो पल मेहरबां. तो हर जन्म का साथ चाहिए. तब चाहे रास्ते पर कांटे मिलें. प्यार हमारा सच्चा हो बस. इतना सा इम्तहां चाहिए. Links to this post. Labels: कविता. बदले न .
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: January 2009
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।. ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार. बुधवार, 21 जनवरी 2009. निराधार. पत्थरों. महफिलों. जामों. आतिशांदाज. वालों. शामों. यादों. हिस्सा. मुलाकात. वास्ते. मिलें. 8217; भारती. Posted by रचना गौड़ ’भारती’. Links to this post. Labels: कविता. सोमवार, 5 जनवरी 2009. दुनिया की दह्ललीज़ पर. लोक लाज के भय से. Links to this post. साह&...
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: November 2010
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।. ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार. शनिवार, 27 नवंबर 2010. अधूरी सी . विक्षिप्त सी सीमा रेखा,. विलोम सभ्यता की प्रतीक. सी लगती है ।. ऊंची नीची पहाड़ियों पर,. आदमी और आदमखोरों की. लुका छुपी में. जर्जरता से बेफिक्र,. त्रासदी की बर्बरता अधूरी लगती है ।. दूसरों की पीड़ा वो,. क्यों कर सहें जब ,. Links to this post. आपका क&...
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: January 2010
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।. ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार. शनिवार, 23 जनवरी 2010. धोबीघाट. वो मेरा घर और. घर के पीछे का धोबीघाट. श श श से कपड़े पछीटते. धोबियों की सीटियों की आवाज़. सर्दी, गर्मी, बारिश में. अधोतन पानी में उतर. पत्थरों पर करते पछाट पछाट. वो धूप से झुलसी चमड़ी. इनसे निकलता सतरंगी पानी. Links to this post. Labels: कविता. विध...
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: December 2009
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।. ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार. बुधवार, 16 दिसंबर 2009. कैसे आएगी खुशहाली? पांच लोगों का जमघट. तीन पत्ती का खेल. धुआं उगलती मोटरें. हाटों में रेलमपेल. झौंपड़ी में घुस गई. फैशन की चाल. माथा टीकी लाली. गंवारन का हाल. सूखी मटकी खाली. टीन कनस्तर खाली. करने बातें बैठें हैं. चल अब दस की पत्ती डाल. Links to this post. चि...
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: August 2009
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. मखमल में लिपटे कुछ लम्हे मिले हैं, कहते हैं दर्दे-दिल से दूर हैं। नज़र में बारीकियां कुछ हमने भी सीखी जहां, रूमाल उनके कुछ भीगे मिले हैं ।. ब्लोगिंग जगत के पाठकों को रचना गौड़ भारती का नमस्कार. सोमवार, 31 अगस्त 2009. आसान नहीं. दामन में लगे दाग तो फिर भी. धुल जातें हैं मगर. नजरों के दामन में लगे दागों. को धोना आसान नहीं. दीवारों की दरारें तो फिर भी. पट जाती हैं मगर. पड़ गई दिल की दरार. को पाटना आसान नहीं. को धोना आसान नहीं. मान जाते हैं मगर. रुह के बैर को. Links to this post.
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सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है | काकोरी काँड : Kakori Conspiracy
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क क र क ड : Kakori Conspiracy. अभ ल ख क रम. अश आर व कव त य. सरफर श क तमन न अब हम र द ल म ह. द सम बर 28, 2008 क 3:26 प र व ह न Posted in सरफ़र श क तमन न. 28 ट प पण य. ट ग: क क र षड़यन त र. र मप रस द 'ब स म ल'. सरफ़र श क तमन न. हम र अमर शह द. Freedom Struggle of India. Martyr of Indian Independence. सरफर श क तमन न अब हम र द ल म ह ,. द खन ह ज र क तन ब ज ए क त ल म ह. करत नह क य द सर क छ ब तच त,. द खत ह म ज स व च प त र महफ ल म ह. रहबर र ह म हब बत रह न ज न र ह म. लज जत-ऐ-स हर नवर द द र य -म ज ल म ह. Feed for comm...
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दादाजी दुनिया से गए…और मैं आ गया ! « वो दिन गए…a Nostalgia !
https://nostalgicworld.wordpress.com/2008/11/01/दादाजी-दुनिया-से-गएऔर-मैं
व द न गए…a Nostalgia! द द ज द न य स गए…और म आ गय! नवम बर 1, 2008. जन म, अवत र य प र द र भ व. मकर स क र त. 8 ट प पण य ». ट प पण द व र saudamini. नवम बर 1, 2008. Visit at : sanjayoscar.wordpress.com. ट प पण द व र sanjayoscar. नवम बर 4, 2008. ब ल ग जगत म आपक ह र द क स व गत ह , बह त-बह त श भक मन य. ट प पण द व र स र श च पल नकर. नवम बर 26, 2008. आपन बह त अच छ ल ख ह. भ व क अभ व यक त मन क स क न पह च त ह. ल खत रह ए ल खन व ल क म ज़ ल यह ह. कव त ,गज़ल और श र क ल ए म र ब ल ग पर स व गत ह. ट प पण द व र रचन ग ड़ भ रत.