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कहानी-कविता: January 2010
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कहानी-कविता. Friday, January 22, 2010. 8216;तुम चुप रहो! यदि महिला आरक्षण की बात नहीं होती तो उसका नाम कौन लेता? 8216;‘जठे परधान वणवां वास्ते होड़-होड़ी में आदमियां’रा माथा फूटी जावता, वठे अणी पद ने आरक्षित करी’न सरकार बब्बूड़ी’री तकदीर खोल दीदी’’।. उसे पार्टी, राजनिति से क्या लेना देना? कल बब्बूड़ी फार्म भरने जायेगी।. 8216;‘इधर आ बब्बूड़ी’’. उसने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि शर्मा गयी।. हार जीत का फैसला तो यहीं मतदाता करते है।. 8216;‘तू चुप रह! 8216;चुनाव के लिए कल फार्म भर...8216;‘हां! यों·&...8216;‘ब&...
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कहानी-कविता: October 2014
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कहानी-कविता. Wednesday, October 29, 2014. भाभी की सेवानिवृति का अवसर जो है।. 8216;‘रात के ग्यारह बज रहे है, अब सो भी जाओ।’’ दिवाकर ने जम्हाई लेते विभा की ओर देखकर कहा- कल का ही दिन बचा है। बहुत कुछ तैयारी अभी बाकी है।. 8216;‘हो जायेगा। क्यों चिंता कर रहे हो भैया? 8217;’ दिवाकर ने विभा की ओर मुखातिब होकर पूछा।. जरा दिखाओ तो सही।’’. देखा न भैया, मैं न कहती थी भाभी के काम का जवाब नहीं। वाह! 8216;‘कैसी लगी? 8217;’ विभा ने पूछाा।. क्यूं भैया? 8216;‘बताओ तो कौन है? 8216;‘बचपन से ही इन्ह...समय पंख लगì...
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बाल साहित्य: हिन्दी साहित्य मंच: रिपोर्ट
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बाल साहित्य. बधाई उन बच्चों को जिनकी मुर्गी ने पहला सुनहरा अण्डा दिया. शनिवार, 24 अप्रैल 2010. हिन्दी साहित्य मंच: रिपोर्ट. हिन्दी साहित्य मंच: रिपोर्ट. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). Is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-Share Alike 3.0 United States License. Based on a work at bal-sahitya.blogspot.com. मेरे बारे में. मेरे मित्र. बगिया के फूल. जंगल उत्सव. मजेदार बात.
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कहानी-कविता: June 2012
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कहानी-कविता. Saturday, June 23, 2012. हस्ती इनकी. बीच रास्ते में चलते. कई बार आ घेरती है रेवड़. रेवड़, जिसकी भेड़चाल. देखकर मन विमोहित सा. हो उठता है. सिर झुका कर. एक के पीछे एक लग. अनुसरण करते जाना. क्या यही हैं. इनकी करूण गाथा? रेवड़, जो लिए चलती है. एक कुत्ता, अपने संग. जो चैकसी करता है. रखवाली भी कभी कभी. मार्गदर्शन लेना. वो भी एक कूकर से. क्या नहीं है. भीरूता इनकी? रेवड़, जो धरती पर. भूचाल बन बढ़ती जाती. तनिक टूटी या बिखरी तो. फिर आ जुड़ती. चुम्बक जैसी खींच कर. हां, यही है. कर लिए गये. Is licensed u...
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कहानी-कविता: September 2009
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कहानी-कविता. Tuesday, September 22, 2009. आरोह - अवरोह. मैंने झुककर देखा, क्या वह सो चुकी है? 8216;हां ’शायद’ मैं उठने के लिए हिली तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया- ‘कहां जा रही हो? आपकी तबीयत ज्यादा खराब हो जायेगी तब? वह हंसकर कहती, ‘‘अब मर भी जाऊं तो कोई दुख नहीं, तुम आ गई हो न अब घर संभालने। अब मैं चैन से मर सकती हूं।’’. 8216;‘आप हमेशा मरने की बात क्यूं करती है? 8216;‘पगली हो तुम! 8216;‘तुम क्या सोचते हो? मुझे खाने की इच्छा नहीं होती? और मैं? 8217;’ उनकी आंखे भावना श&#...Saturday, September 19, 2009.
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कहानी-कविता: October 2009
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कहानी-कविता. Monday, October 19, 2009. 8216;‘मकान ढ़ूंढने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई? अभी नई-नई बस्ती बसी है।’’ उसके हाथ से सामान लेते हुए अतुल की पत्नी वृन्दा ने पूछा।. 8216;‘नहीं’’ चारों ओर नजरें घुमाकर वो मुस्कुरा उठी।. मां किससे बात कर रही है, कौन आया है? एक एककर वृन्दा के तीनों बच्चे यह देखने चले आये।. 8216;‘छोड़ न! मुझे गिरायेगी। फिर मेहमान की ओर उन्मुख होकर बोली -. मम्मी मेरी बेल्ट कहां है. तुम्हारे टिफिन में क्या रखूं? परांठा आचार या सैण्डविच. देखूं कहां.उफ! चुप ··, वृन्द...ये क्या...बाहर ओट&#...
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कहानी-कविता: November 2011
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कहानी-कविता. Saturday, November 26, 2011. आदमी का अहसास. जिन्दगी की किताब पर. रोज होते है. हास परिहास. नित नये रूप में. छपते है. चाय के पानी की तरह. खौलते है गैैस पर. फ्र्रिज में रखे. दूध का ठण्डापन. जमने न देता. डिब्बे में बंद. चीनी की मिठास. जागता है फिर गर्म अहसास. मुंह के सामने. लगी प्याली की तरह. गर्म धुंए से. लौटता है फिर. आदमी का विश्वास. प्रस्तुतकर्ता. Thursday, November 24, 2011. तेरे रूप कितने. तेरे रूप कितने. ऐसा क्यों कहती हो? वो कौन? कौन रामेश्वर? अपनी भी बनाई? हो मम्मीज...लगाव कठ&#...
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बाल साहित्य: November 2009
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बाल साहित्य. बधाई उन बच्चों को जिनकी मुर्गी ने पहला सुनहरा अण्डा दिया. सोमवार, 23 नवंबर 2009. नटखट तितली. कितने सुन्दर फूल! कमाल की खुशबू है इनमें! 8217;’ वह सफेद फूलों की ओर बढ़ी और उन पर मंडराते हुए गाने लगी-. 8216;‘मैं अलबेली,. तितली मतवाली,. फूलों का मकरंद. चुनने को आई।’’. 8216;‘तुम्हारा क्या नाम है महकदार फूलों? 8216;‘हम चमेली के फूल हैं।’’. 8216;‘कहां चली ओ अलबेली मतवाली? 8217;’ फूलों ने पुकारा।. 8216;‘हम गेंदे के फूल हैं।’’. 8216;‘तुम्हारा स्वागत है, ...8216;‘उई मां! बच्चों सí...8217;’ म&...
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बाल साहित्य: October 2014
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बाल साहित्य. बधाई उन बच्चों को जिनकी मुर्गी ने पहला सुनहरा अण्डा दिया. बुधवार, 29 अक्तूबर 2014. लम्बी लम्बी कूद लगाने के कारण ही उसका नाम कूदकू रख दिया होगा। तभी तो कूदता फांदता वह इस देवालय की इमारत में घुस आया।. रह जाता। कूदकू चूहे के तो मजे हो गये। क्योंकि दोपहर देवालय बंद हो जाता। इसके बाद. आराम से खाना और बेधड़क घूमने के साथ साथ कूदकू की अक्ल भी. बस वह पकड़ा गया अब वह पिंजरे की कैद में था।. कार के लिए तैयार बैठे है।. बुदबुदाने के साथ टप! प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. विमला भं...वर्...