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कहानी-कविता

कहानी-कविता. Wednesday, October 29, 2014. भाभी की सेवानिवृति का अवसर जो है।. 8216;‘रात के ग्यारह बज रहे है, अब सो भी जाओ।’’ दिवाकर ने जम्हाई लेते विभा की ओर देखकर कहा- कल का ही दिन बचा है। बहुत कुछ तैयारी अभी बाकी है।. 8216;‘हो जायेगा। क्यों चिंता कर रहे हो भैया? 8217;’ दिवाकर ने विभा की ओर मुखातिब होकर पूछा।. जरा दिखाओ तो सही।’’. देखा न भैया, मैं न कहती थी भाभी के काम का जवाब नहीं। वाह! 8216;‘कैसी लगी? 8217;’ विभा ने पूछाा।. क्यूं भैया? 8216;‘बताओ तो कौन है? 8216;‘बचपन से ही इन्ह...समय पंख लगì...

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कहानी-कविता. Wednesday, October 29, 2014. भाभी की सेवानिवृति का अवसर जो है।. 8216;‘रात के ग्यारह बज रहे है, अब सो भी जाओ।’’ दिवाकर ने जम्हाई लेते विभा की ओर देखकर कहा- कल का ही दिन बचा है। बहुत कुछ तैयारी अभी बाकी है।. 8216;‘हो जायेगा। क्यों चिंता कर रहे हो भैया? 8217;’ दिवाकर ने विभा की ओर मुखातिब होकर पूछा।. जरा दिखाओ तो सही।’’. देखा न भैया, मैं न कहती थी भाभी के काम का जवाब नहीं। वाह! 8216;‘कैसी लगी? 8217;’ विभा ने पूछाा।. क्यूं भैया? 8216;‘बताओ तो कौन है? 8216;‘बचपन से ही इन्ह...समय पंख लग&#236...
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कहानी-कविता. Wednesday, October 29, 2014. भाभी की सेवानिवृति का अवसर जो है।. 8216;‘रात के ग्यारह बज रहे है, अब सो भी जाओ।’’ दिवाकर ने जम्हाई लेते विभा की ओर देखकर कहा- कल का ही दिन बचा है। बहुत कुछ तैयारी अभी बाकी है।. 8216;‘हो जायेगा। क्यों चिंता कर रहे हो भैया? 8217;’ दिवाकर ने विभा की ओर मुखातिब होकर पूछा।. जरा दिखाओ तो सही।’’. देखा न भैया, मैं न कहती थी भाभी के काम का जवाब नहीं। वाह! 8216;‘कैसी लगी? 8217;’ विभा ने पूछाा।. क्यूं भैया? 8216;‘बताओ तो कौन है? 8216;‘बचपन से ही इन्ह...समय पंख लग&#236...

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कहानी-कविता: October 2010

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कहानी-कविता. Tuesday, October 12, 2010. थोड़ी सी जगह. थोड़ी सी जगह. ठीक पौने बारह बस का समय था और वह बज चुकी थी। बस, बसस्टॉप छोड़ चुकी थी और श्रुति बस अड्डे के बाहर ही बस रूकवा कर अंदर चढ़ गई।. नॉन स्टॉप बस में ठसाठस सवारियां भरी हुई थी। कहीं तिल धरने को जगह नहीं थी। ‘उफ! कपासन तक का लम्बा सफर क्या खड़े खड़े तय करना पड़ेगा? 8216;‘आप कहां से आ रही है? 8216;‘अच्छा, आप वहां कहां रहती है? 8216;‘आप कहां जा रहे हैं? 8216;‘क्या आप चावण्ड से आ रहे हैं? वृद्ध निरंतर उसकी उपेक्ष&...8216;‘अच्छा तो ...8216;‘अच्...उसक&#2368...

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कहानी-कविता: September 2008

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कहानी-कविता. Friday, September 5, 2008. शायद अगले स्टेशन पर कुछ और लोग चढ़ जाय कूपे में और यह उपर की दोनों बर्थ भर जाय. मैं मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना करने लगी. सच! उस समय के हरि स्मरण ने मेरा मनोबल बढ़ा दिया. क्या कर लेगा अगर उसे सोना जेवरात चाहिये तो क्या है मेरे पास? यह सब और जान बख्श दे. मानो इसे रूपया पैसा या जेवरात नहीं चाहिये तो? यह कोई किल्लर हुआ तो? मुझे क्यूं मारेगा कोई? पर क्यों? तुम्हें क्या काम है इससे? मन ने ही घुड़का था मुझे. कहां जाना चाहता है? क्या करता है? वह तो उठकर खड़ा ह&#23...मै&...

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कहानी-कविता: December 2010

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कहानी-कविता. Thursday, December 9, 2010. घर, धर्मशाला हो गए. निन्नी ने आंखें खोली. नौकरी के पाश में बंधी. मां चढ़ चुकी थी किसी द्रुतगामिनी में. पापा की गोद. डस चुकी है उनकी पदौन्नती. अब वह नहीं रहते यहां. शनिवार इतवार के है वे मेहमां. दादी, फूफी सभी. तो मुसाफिर हैं यहां. टेबिल पर सजे. बस्ता, टिफिन और वॉटर बोतल की तरह. रैन बसेरा लेकर. चल पड़ते है सुबह. तभी टेम्पो का भोंपू. चौकस करता है निन्नी को. बॉय-बॉय करती है निन्नी. बेजान दीवारों को. उसके बाद. दिनभर ऊंघता है घर. शाम फिर. हर शनिवार इतवार. औरत का सच.

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कहानी-कविता: September 2009

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कहानी-कविता. Tuesday, September 22, 2009. आरोह - अवरोह. मैंने झुककर देखा, क्या वह सो चुकी है? 8216;हां ’शायद’ मैं उठने के लिए हिली तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया- ‘कहां जा रही हो? आपकी तबीयत ज्यादा खराब हो जायेगी तब? वह हंसकर कहती, ‘‘अब मर भी जाऊं तो कोई दुख नहीं, तुम आ गई हो न अब घर संभालने। अब मैं चैन से मर सकती हूं।’’. 8216;‘आप हमेशा मरने की बात क्यूं करती है? 8216;‘पगली हो तुम! 8216;‘तुम क्या सोचते हो? मुझे खाने की इच्छा नहीं होती? और मैं? 8217;’ उनकी आंखे भावना श&#...Saturday, September 19, 2009.

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कहानी-कविता: July 2010

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कहानी-कविता. Saturday, July 31, 2010. बेटी की सगाई पर. की सगाई पर. पगलाया मन. बर्फ की चादर हटा. खिल आये यादों के सुमन. सुधारस पगी. मन की फांकों. से टपकने लगा. शहतूती रस. अमृत घोलती. वाणी का मिठास. बोलने लगा था यूं. दोगी जीवनभर साथ. कशोर वय को. कुंआरे मन को. सगाई की रस्म में. अगूंठी की परिधि से टांकना. या था हाईवे से. पगडण्डी का ये इशारा. अठ्ठाईस बरस पीछे. छूटा था जो समंदर. नई गहराई को नाप रहा. 8216;जीवनसाथी’ शब्दार्थ की. किश्ती को ‘ताप’ रहा. जीवनभर का साथ. यह अनूठा विश्वास. लेबल: कविता. 8216;‘मम&#2...

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ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: April 2012

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. ओळ्यूं मरुधर देश री. आपरी निज़र है सा. प्रवासी राजस्थान्यां खातर लिख्योड़ा म्हारा दूहा. ओळ्यूं. मरुधर देश री. रूह रमै रजथान में. विदेशां देह. भाषा भायां भोम सूं. दिन इधको नेम. जे आयो रजथान सूं. रोहीड़ै रा फूल. कीं माटी. कण दै म्हनैं. मिटै बिजोगी. सोनचिड़ी मरुदेश री. कीं तो म्हासूं बोल. माटी री वाणी सुणूं. उठै काळजै छौळ. बाळपणो सुपनां. गुम्यो विदेशां आय. रजथानी सूं प्रीत नित गाढ़ी हो. ती जाय. सुपनो आयो सोहणो. गयो नींद सूं जाग. कसूंबल ओढणो. अर पचरंगिया पाग. मनड़ो चढ. म्ह&#2...

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ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: January 2012

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. समदर सुकड़’ तळाव हुया. एक ग़ज़ल आप री निजर है सा. जैड़ा. बैठ्या. काळजियै. राजिंद. पंसेरी. राजेन्द्र स्वर्णकार. शब्दार्थ मेरे हिंदी-भाषा-भाषी मित्रों के लिए. ऐ - ये. आछा - अच्छे. बदळाव - बदलाव/परिवर्तन. हुया - हुए. बिहूण - भाव-विहीन. सुभाव - स्वभाव. बदळां - बदलें. पौन - पानी-हवा. कठै - कहां. जैड़ा - जैसे. किणरौ - किसका. के - क्या. गुमरेज - गर्व / घमंड. 8217; - सिकुड़ कर. इण मिस - इस बहाने. केई - कई / अनेक. मोकळी मंगळकामनावां! 8 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. राजस&#23...

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ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: July 2015

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. राजस्थानी भाषा राजस्थान मांय पूजीजैला. राजस्थान में दूजै प्रदेशां सूं आ आ'र बस जावण वाळा लोग. आज राजस्थानी भाषा री मान्यता री संभावना देख'र नाक-भौं सिकोड़ण लाग रैया है ।. उणां नैं ललकारतां फिटकारतां थकां सुरसत चलवाई कवि री कलम. राजस्थानी भाषा राजस्थान मांय. आज सुणी. चींट्यां मकड़ां रै नैना पंख निकळ आया ।. बै म्हांरी मा भाषा रै अपमान मं मुंहडो मिचकाया ।।. पकड़' आंगळी पुणचो पकड़ै , गळै गिंद पड़ता जावै ।।. सूगलवाड़ करण री मत सोचो धींगड़ धाप...घिरत-चूरमो टांग...म्हांस&#2...आज मानत&#...

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ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: July 2013

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. अणहद-नाद सुणीजै घट. श्री गुरुवे नमः. जयरामजी री सा! गुरुपूनम री आप सबनैं मंगळकामनावां! सगळां पर गुरुजनां री आशीष बणी रैवै. आओ , इण मौकै म्हारी आ रचना बांचो अर सुणो. श्री गुरुवे नमः. जद उमगै उर ज्ञान-पिपासा! बिन दीवटियां होय उजासा! निज कळमष हाथां प्रक्षाळ्यां. घट झड़ बरसै बिन चौमासा! नाश वासना होवै सगळी. फीसै पाणी मांय पताशा! ब्रह्म-जीव. 8230; विभंजै खेल-तमाशा! भेद मिटै अद्वैत-द्वैत रौ. सुलटा ही सुलटा सै पासा! थित-प्रगळभ नैं मिळै. निराशा. अठै सुणो. रामराम सा. नई पोस्ट. म्ह...

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ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: November 2013

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. थां'रौ तन मदिरालय लिखसूं मन नैं तीरथधाम. लिखूंला. पैलां. नाम लिखूंला. लिखूंला. म्हारै. मन री सैंग विगत म्हैं. काळजियै. नैं थाम. लिखूंला. ओळ्यूं. मोत्यां. मूंगै. दाम लिखूंला. तन मदिरालय लिखसूं. नैं तीरथधाम लिखूंला. दो ओळ्यां मांडूंला. ज़रूरी काम लिखूंला. लिखसूं. भोळी राधा. नैं छळियो श्याम लिखूंला. स्रिष्टी में लाधै राजिंद. इस्यी सरनाम लिखूंला. राजेन्द्र. स्वर्णकार. भावार्थ. पहले आपका नाम लिखूंगा. आपरी टिप्पण्. यां सूं ठाह पड़सी. जै रामजी री सा. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. ओळ्य&...

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ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: October 2011

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. बणजे मत तूं दुनिया ज्यूं आंधो स्वारथ में , सुण दीवा! लिछमी नित किरपा करै , गणपति दै वरदान! सुरसत री आशीष सूं बधै सवायो मान! एक गीतड़लो हाजर. है सा. दीवटिया! नैनी था’री बांवड़ल्यां अर नैनी-सी औकात रे! लारै था’रै आंधड़-मेहलो , आगै झंझावात रे! दीवटिया! मत डरजे ; लड़जे , बळजे काळी रात रे! रंग थनैं! तूं ल्या मुट्ठी में सोनळिया परभात रे! उलटी बैवै पून रे दीवा! दिश-दिश खावण नैं आवै! दीवटिया! मत डरजे : लड़जे , बळजे काळी रात रे! दीवटिया! रंग थनैं! रंग थनैं! नन्ही नन्ह&#2368...तू इस क&#...

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ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: November 2012

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. दीयाळी रा दिवटियां! थां’री के औकात? रामराम सा! धनतेरस ,. रूपचौदस ,. दीयाळी ,. गोरधन पूजन ,. री मोकळी. शुभकामनावां! मंगळकामनावां! लिछमी नित आशीष दै. गणपति दै वरदान! सुरसत-किरपा. आपरौ मान! दीयाळी हरख रौ उच्छब अर आणंद रौ तिंवार है. पण संसार में सगळा जणा बडै भाग वाळा कोनीं हुवै. ऐ दूहा निरधन अर कमजो. री दीठ सूं कह्योड़ा है. मूंघाई छाती चढी , ऊपर काळ-कराळ! साम्हीं दीयाळी खड़ी ; सांवरियो रिछपाळ! उछब दियाळी रौ बठै कैड़ो लिछमीनाथ? 8230;आवै सालूं-साल! दीयाळी! दीयाळी! धुख-धुख&#8...मेट...

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ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: August 2013

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. रंग-बिरंगी लगा' पांखड़्यां बुगला बणग्या मोर! कैवण नैं आज स्वतंत्रता दिवस है ।. पण हियै हाथ धर. 8217; र सोचो – आपां साची आज़ाद हां कंई. कित्ता. 8217; यां! अजे आज़ादी अधूरी है. पूरी स्वतंत्रता अर सुतंत्रता खातर संघरष करतो रैवणो है! म्हारौ एक पुराणो गीत आपरी निजर है सा. जोर लगालै जोर. भ्रिष्टाचार अठै छायो ज्यूं गगन घटा घनघोर. दानवता री दळदळ पसरी. जिण रौ ओर नं छोर. एकमेक संगी. समधी ज्यूं हुया आदमी. बळती बारूंमास. निरवाळो मत बैठ भायला. नीं कर मन कमजोर. मुल्ला. यो झकझोर. मेर&#2...

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. बा मंज़ल हेलो पाड़ै. ल्यो सा एक ग़ज़ल. म्हारी पोथी रूई मांयीं सूई. मांय सूं. यूं कांईं जी हारो हो. क्यूं मनड़ै नैं मारो हो. क्यूं बैर्. रा काळजि. मुंह लटकायां ठारो हो. देखो मुळकै चांदड़लो. किण नैं आप निहारो हो. बा मंज़ल हेलो पाड़ै. किण दिश आप सिधारो हो. समदर मरुथळ स्सै लांघ्या. थे इब कांईं धारो हो. राजेन्द्र स्वर्णकार. भावार्थ. मेरे हिंदीभाषी मित्रों के लिए ). ऐसे क्या जी (हिम्मत ) हार रहे हो? क्यों मन को मार रहे हो? मुंह पर उदासी ला’कर. मिलसां भळै. नई पोस्ट. मन गुर&#2369...

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ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: February 2013

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थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. इमरत वाणी बोल! राजस्थानी बोल! विश्व मातृ भाषा दिवस. रै अवसर पर एक गीत. राजस्थानी बोल! अंजस वाणी बोल! कीरत वाणी बोल! इमरत वाणी बोल! राजस्थानी बोल! करणी माता रामदेवजी तेजोजी गोगोजी. धन धन पाबूजी जसनाथजी पीपाजी जाम्भोजी. बोलग्या बै खांतीला बोल. थरपग्या लाखीणा निज मोल. भोळा, सत री वाणी बोल! राजस्थानी बोल! मीरां बोली आ बोली अर अमर हुयां हरखावै. उण रै वचनां री गंगा ओजूं लग रस छळकावै. तूं भी हिरदै नैं खंखोळ. खोलदै खीला जड़ी पिरोळ. राजस्थानी बोल! उमगिया अथ आखर अणमोल. सुणो स...इसे...

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Sunday, August 2, 2015. निर्झारिणीको जीवन्त सङ्गीत पनि हो मेरो कविता. उतौला देखिने,. सागरका छालहरुका,. उत्तेजना मात्र होइन,. चंचलता पछिको,. क्रन्दन पनि हो-मेरो कविता।. सौन्दर्यको चुचुरा,. उत्तेजनाको आयतनमा,. आनन्द-चेतनाको,. उपमा दिने,. कामवेद्को प्रणय ऋचा मात्र होइन,. जीवन मरु भूमिमा,. प्राणीको पनि पानीसंग,. अनि पानीको प्राणीसंगको. स्नेह र आत्मियतापनि हो मेरो कविता।. यूद्ध सत्य युगको,. कलि युगमा,. देव-दानवको,. सागर-मन्थनबाट निस्किएको,. अमृत मात्र होइन,. यसकोअनुचित भूलको,. त्यसो त! Friday, July 31, 2015.

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Monday, November 26, 2007. राम सेतु रथ मूदुबिद्रे. Tuluva/ಅಜೆಕಾರು. Silver crown for basadi. Tuluva/ಅಜೆಕಾರು. Silver crown बसदी. Tuluva/ಅಜೆಕಾರು. Kaarthika deepostava at Shree Vemkatramana temple moodbidre. Karthika Deepostava at Moodbidre:. Karthika Deepostava held at Shree Venkatramana Temple Moodbidre. Shree Swamiji of Kashimath's presence was speciality of this years service. न्यूज़. Tuluva/ಅಜೆಕಾರು. Saturday, November 24, 2007. State Level Weight lifting at Yedapadavu. Champions in 29 Th. MA(Kannada lit...

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సాహిత్యసౌరభం

సాహిత్యసౌరభం. Friday, November 11, 2016. భ్రమరాంబామల్లీశ్వరసంవాదము. భ్రమరాంబామల్లీశ్వరసంవాదము. శివాలయములలో ఈ పద్యములను ఉత్సవవిగ్రహములకు పవ్వళింపు సేవవేళ ద్వారములలోన ఒకరు, బయట ఒకరు నుండి చెరిసగముగా పాడుతారు. శా. శ్రీమద్భూమిధరాధిరాజతనయా శృంగారగాత్రోజ్జ్వలా. నామీఁదన్ దయలేక నీవును వృథా నన్నేల వీక్షింపవే :-. ప్రేమన్ వేఁటనెపంబునం జని పరస్త్రీఁ గూడినా విప్పుడున్. శ్రీమించన్ ననుఁ గూడనేల పదరా శ్రీశైలమల్లీశ్వరా! శా. భామారత్నమ! శా. సింగం బున్నగుహాంతముల...అంగీకారముచేసికొ&#30...సింగారించ...టెరుగం బట...సరవి నన&#...

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साहित्य सर्जक

साहित्य सर्जक. Sunday, September 21, 2014. जिंदगी छू लिया तो एक सिरहन सी हुई. आँख भर देखा तो उस में एक तड़पन सी हुई. बस इसी के सहारे ये जिंदगी चलती रही. और एक पल में इसी से जिंदगी पूरी हुई।. जिंदगी अक्सर अक्सर हमारी पास रहती है कहाँ. सोचते हैं, जिंदगी, पर दूर रहती है कहाँ. हम इसी भटकाव में जीते हैं अक्सर जिंदगी. जिंदगी की मौज है रहती कहाँ है जिंदगी।. जिंदगी को देख लोगे तुम यदि नजदीक से. तब समझ आ जाये शायद जिंदगी यह ठीक से. प्रस्तुतकर्ता. Thursday, March 20, 2014. छोड़े।।. वोट की खात&#2367...उस गा&#23...

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कहानी-कविता

कहानी-कविता. Wednesday, October 29, 2014. भाभी की सेवानिवृति का अवसर जो है।. 8216;‘रात के ग्यारह बज रहे है, अब सो भी जाओ।’’ दिवाकर ने जम्हाई लेते विभा की ओर देखकर कहा- कल का ही दिन बचा है। बहुत कुछ तैयारी अभी बाकी है।. 8216;‘हो जायेगा। क्यों चिंता कर रहे हो भैया? 8217;’ दिवाकर ने विभा की ओर मुखातिब होकर पूछा।. जरा दिखाओ तो सही।’’. देखा न भैया, मैं न कहती थी भाभी के काम का जवाब नहीं। वाह! 8216;‘कैसी लगी? 8217;’ विभा ने पूछाा।. क्यूं भैया? 8216;‘बताओ तो कौन है? 8216;‘बचपन से ही इन्ह...समय पंख लग&#236...

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साहित्य सृजन. साहित्य, विचार और संवेदना का संवाहक. बुधवार, 2 दिसंबर 2009. साहित्य सृजन – नवम्बर-दिसम्बर 2009. 8216;साहित्य सृजन’ के इस अंक में आप पढ़ेंगे –. संपादक : साहित्य-सृजन. मेरी बात. साहित्यिक सर्वेक्षणों के मायने. रूपसिंह चन्देल. क्या किसी पत्रिका ने किसी मान्यता प्राप्त सर्वेक्षक संस्था से कभी ऐसे सर्वेक्षण करवाए? प्रस्तुतकर्ता सुभाष नीरव. 9 टिप्पणियाँ. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: मेरी बात. रश्मि प्रभा की दो कविताएँ. दुआओं के दीप. आंसुओं की नदी में. मैंने अपने. पाल संग. उसे समझान&#236...तुम...

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SAHITYA SRIJAN

Saturday, September 29, 2012. आगे बढ़ो …. आगे बढ़ो …. जीवन का पथ. नहीं सरल. पर इतना भी. नहीं गरल. जो सोच. बस ठान लो. अंजाम दो ॰॰॰. आगे बढ़ो. बाधा से. 2416;॰॰. निश्चित. 2416;॰॰॰. नव प्रभात. होगा सुनिश्चित. राजेश बिस्सा. Friday, March 20, 2009. नव भारत की आन तू. नव भारत कि तस्वीर का निर्माण तेरे हाथों में. उठ जाग जा मत सो सबकी आन तेरे हाथों में. देख दुश्मन आँख लगाए, ना बैठ जाये द्वार पर. राजेश बिस्सा 28-01-09. Subscribe to: Posts (Atom). IF YOU WANT TO READ THIS BLOG IN YOUR LANGUAGE, PLEASE SELECT HERE.

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साहित्यसुधा _ साहित्यकारों की वेबपत्रिका

स ह त यक र क व बपत र क. स ह त य क रचन स थल. वर ष: 1, अ क 10, अप र ल, 2017. स ह त यस ध एक सम प र णत स ह त य क पत र क ह ज सक उद द श य सभ रचन क र क प र त स ह त करक ह द क बढ़ व द न ह इसक म ध यम स ह द स ह त य क सभ व ध ओ क सम म ल त करन क प रय स क य ज एग. ड ०अन ल चड ड. र ज क म र ज न 'र जन'. अन द त-स ह त य. ल खक पर चय. प स तक सम क ष. सम प दक क ओर स व श ष. फ र बनत क स पहच न म र! बचपन क द न थ. आ गन अपन म. व यक त त व क ब हर उभरन क. पर म झक थ घर म झ क द य. क छ करन स. क छ बनन स. म झक अपन न र क द य. आच र य बलवन त -.

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2360;ुरेश त्रंबक पाठक नावाने साहित्य निर्मिती . Best Viewed in Internet Explorer. If any font problem download font by clicking below and installed font on your computer. VçJçí mçççÆnl³ç. 2357;ेंधळ्यांची ऐशी तैसी. 2360;ूर्ययाग नाथांची पालखी. VISIT TO GREAT CITY OF LONDON. THORN;ççÇjçcç, pç³çjçcç pç³çpç³ç jçcç. Vççjç³çCççÇ vçcççímlçálçí-çEççJç[ ³çíL&c...Cççíþb Içj. Designed By : www.ashwasoftware.com.

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साहित्य सुस्केरा

साहित्य सुस्केरा. प्रगतिशील साहित्यमा युवा प्रयास. केही नेपाली साहित्यकारहरु. There was an error in this gadget. अग्रजको कलम. कथा/लघुकथा. जानकारी. देवकोटा शतवार्षिकी-२०६६. बालसाहित्य. शृङ्‍खलामा वाचित. साहित्यिक समाचार. हाम्रो बारेमा. Sahitya Suskera "साहित्य सुस्केरा ". संघिय गणतन्त्र नेपाल, Nepal. प्रगतिशील साहित्यमा युवा प्रयास. View my complete profile. साथ दिनेहरु (Followers). सुस्केरा समूह. साहित्य सुस्केरा. नेपाली भाषाका ब्लगहरु. अनलाइन साहित्य घर. इपत्र डट कम. कविता कुसुम. Friday, March 19, 2010.