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साहित्य सृजन

साहित्य सृजन. साहित्य, विचार और संवेदना का संवाहक. बुधवार, 2 दिसंबर 2009. साहित्य सृजन – नवम्बर-दिसम्बर 2009. 8216;साहित्य सृजन’ के इस अंक में आप पढ़ेंगे –. संपादक : साहित्य-सृजन. मेरी बात. साहित्यिक सर्वेक्षणों के मायने. रूपसिंह चन्देल. क्या किसी पत्रिका ने किसी मान्यता प्राप्त सर्वेक्षक संस्था से कभी ऐसे सर्वेक्षण करवाए? प्रस्तुतकर्ता सुभाष नीरव. 9 टिप्पणियाँ. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: मेरी बात. रश्मि प्रभा की दो कविताएँ. दुआओं के दीप. आंसुओं की नदी में. मैंने अपने. पाल संग. उसे समझानì...तुम...

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साहित्य सृजन. साहित्य, विचार और संवेदना का संवाहक. बुधवार, 2 दिसंबर 2009. साहित्य सृजन – नवम्बर-दिसम्बर 2009. 8216;साहित्य सृजन’ के इस अंक में आप पढ़ेंगे –. संपादक : साहित्य-सृजन. मेरी बात. साहित्यिक सर्वेक्षणों के मायने. रूपसिंह चन्देल. क्या किसी पत्रिका ने किसी मान्यता प्राप्त सर्वेक्षक संस्था से कभी ऐसे सर्वेक्षण करवाए? प्रस्तुतकर्ता सुभाष नीरव. 9 टिप्पणियाँ. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: मेरी बात. रश्मि प्रभा की दो कविताएँ. दुआओं के दीप. आंसुओं की नदी में. मैंने अपने. पाल संग. उसे समझान&#236...तुम...
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साहित्य सृजन. साहित्य, विचार और संवेदना का संवाहक. बुधवार, 2 दिसंबर 2009. साहित्य सृजन – नवम्बर-दिसम्बर 2009. 8216;साहित्य सृजन’ के इस अंक में आप पढ़ेंगे –. संपादक : साहित्य-सृजन. मेरी बात. साहित्यिक सर्वेक्षणों के मायने. रूपसिंह चन्देल. क्या किसी पत्रिका ने किसी मान्यता प्राप्त सर्वेक्षक संस्था से कभी ऐसे सर्वेक्षण करवाए? प्रस्तुतकर्ता सुभाष नीरव. 9 टिप्पणियाँ. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: मेरी बात. रश्मि प्रभा की दो कविताएँ. दुआओं के दीप. आंसुओं की नदी में. मैंने अपने. पाल संग. उसे समझान&#236...तुम...

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साहित्य सृजन: March 2008

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साहित्य सृजन. साहित्य, विचार और संवेदना का संवाहक. शनिवार, 29 मार्च 2008. साहित्य सृजन – मार्च 2008. मेरी बात. सुभाष नीरव. 8217; मैंने बताया- ‘हाँ। कल ही पढ़कर उठा हूँ।’ उन्होंने प्रश्न किया- ‘मेरी कहानी पढ़ी? कैसी लगी? हिंदी कहानी. बहुत कुछ. महेश दर्पण. 8220;क्या करती हैं अकेले में दरवाजा बंदर करके वह? 8221; मेरी जिज्ञासा जाग उठी थी।. 8220;हाँ-हाँ।" कहते हुए हम दोनों निकल पड़े।. ताई यह बात कई मर्तबा बता चुकी हैं, यह उन्हें बतान&...बोलती-बोलती ताई इसके बाद एकदम ख&#...मैंने माह&#2380...लेकिन,. सागर म&...

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साहित्य सृजन: December 2009

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साहित्य सृजन. साहित्य, विचार और संवेदना का संवाहक. बुधवार, 2 दिसंबर 2009. साहित्य सृजन – नवम्बर-दिसम्बर 2009. 8216;साहित्य सृजन’ के इस अंक में आप पढ़ेंगे –. संपादक : साहित्य-सृजन. मेरी बात. साहित्यिक सर्वेक्षणों के मायने. रूपसिंह चन्देल. क्या किसी पत्रिका ने किसी मान्यता प्राप्त सर्वेक्षक संस्था से कभी ऐसे सर्वेक्षण करवाए? प्रस्तुतकर्ता सुभाष नीरव. 9 टिप्पणियाँ. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: मेरी बात. रश्मि प्रभा की दो कविताएँ. दुआओं के दीप. आंसुओं की नदी में. मैंने अपने. पाल संग. उसे समझान&#236...तुम...

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साहित्य सृजन: साहित्य सृजन – सितम्बर-अक्तूबर 2009

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साहित्य सृजन. साहित्य, विचार और संवेदना का संवाहक. बुधवार, 14 अक्तूबर 2009. साहित्य सृजन – सितम्बर-अक्तूबर 2009. 8216;साहित्य सृजन’. संपादक : साहित्य-सृजन. मेरी बात. बेगम अख़्तर की पुण्यतिथि पर विशेष. जब तवक्को ही उठ गयी गालिब. अशोक गुप्ता. 8220;जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है, जो साज़ पे गुज़री है वो किस दिल को पता है? 8220;जिस से लगाई आँख उसी को दिल का दुश्मन देखा है.”. 8220;तमाम उम्र रहे हम तो खैर काँटों में.”. अख्तर बाई गाती हैं-. लेबल: मेरी बात. 6 टिप्‍पणियां:. ने कहा…. वाह भाई अश&#...सधा...

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साहित्य सृजन: July 2009

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साहित्य सृजन. साहित्य, विचार और संवेदना का संवाहक. सोमवार, 27 जुलाई 2009. साहित्य सृजन – जुलाई-अगस्त 2009. 8216;साहित्य सृजन’. के इस अंक में हिंदी अकादमी, दिल्ली के ताज़ा प्रकरण पर “ मेरी बात. 8221; स्तंभ के अन्तर्गत पढ़ें- डॉ0 रूपसिंह चन्देल का आलेख ‘ दिल्ली में क्या साहित्यकारों का अभाव है? संपादक : साहित्य-सृजन. मेरी बात. दिल्ली में क्या साहित्यकारों का अभाव है? डॉ. रूपसिंह चन्देल. प्रस्तुतकर्ता सुभाष नीरव. 14 टिप्पणियाँ. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: मेरी बात. 1)स्त्री. अपने अन्तिम समय. साथ स&#2379...

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साहित्य सृजन: साहित्य सृजन – नवम्बर-दिसम्बर 2009

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साहित्य सृजन. साहित्य, विचार और संवेदना का संवाहक. बुधवार, 2 दिसंबर 2009. साहित्य सृजन – नवम्बर-दिसम्बर 2009. 8216;साहित्य सृजन’ के इस अंक में आप पढ़ेंगे –. संपादक : साहित्य-सृजन. मेरी बात. साहित्यिक सर्वेक्षणों के मायने. रूपसिंह चन्देल. क्या किसी पत्रिका ने किसी मान्यता प्राप्त सर्वेक्षक संस्था से कभी ऐसे सर्वेक्षण करवाए? प्रस्तुतकर्ता सुभाष नीरव. लेबल: मेरी बात. 9 टिप्‍पणियां:. PRAN SHARMA ने कहा…. SHRI ROOP SINGH CHANDEL KE. VICHAARON KO PADHNA HAMESHA. ACHCHHA LAGTAA HAI.SEEDHEE- SAADEE. आप की ब...

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सृजन-यात्रा: July 2013

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सृजन-यात्रा. सुभाष नीरव का रचना-सफ़र. सोमवार, 15 जुलाई 2013. 8216;एक और कस्बा’ आपसे साझा कर रहा हूँ।. सुभाष नीरव. एक और कस्बा. सुभाष नीरव. देहतोड़ मेहनत के बाद. रात की नींद से सुबह जब रहमत मियां की. ख खुली तो उनका मन पूरे मूड में था। छुट्टी का दिन था और कल ही उन्हें पगार मिली थी। सो. सुक्खन थैला और पैसे लेकर जब बाजार पहुँचा. उसकी नज़र ऊपर आकाश में तैरती एक कटी पतंग पर पड़ी। पीछे-पीछे. पर नाकामयाब रहा। देखते ही देखते. चेहरे पर विजय-भाव लिये! काफी देर बाद. प्रस्तुतकर्ता. सुभाष नीरव. नई पोस्ट. मैं औ...यात...

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सृजन-यात्रा: August 2013

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सृजन-यात्रा. सुभाष नीरव का रचना-सफ़र. शुक्रवार, 9 अगस्त 2013. सुभाष नीरव. सुभाष नीरव. साहित्य. समीक्षा की जानी-मानी पत्रिका. 8217; के लिए लिखते रहे हैं।. एक सप्ताह में उन्होंने दोनों पुस्तकें पढ़ डाली थीं। आज सुबह वह लिखने बैठ गए थे।. अभी भी उनके भीतर बहुत कुछ उमड़-घुमड़ रहा था जिसे वे रोक नहीं पाए -. 8216; कल की लेखिका. अपने आप को जाने समझती क्या है. केवल दो किताबें आई थीं. 8212; एक कहानी संग्रह और एक उपन्यास. दूसरे को कुछ समझती ही नहीं।. तीसरे दिन ही लौट आई। चलो. जी हाँ।. अखिल जी. केन्द्र...8217; के ...

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सृजन-यात्रा: January 2013

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सृजन-यात्रा. सुभाष नीरव का रचना-सफ़र. बुधवार, 2 जनवरी 2013. मित्रो. नववर्ष के उपलक्ष्य में मेरी कहानी. नए साल की धूप. राजस्थान पत्रिका. रविवार) के अंक में प्रकाशित हुई है।. इसे मैं अपने ब्लॉग के माध्यम से आप सबसे भी साझा करना चाहता हूँ। आशा है. आपको पसंद आएगी और आप अपनी राय से मुझे अवगत कराएंगे।. नये साल की धूप. सुभाष नीरव. रोज की तरह आज भी बिशन सिंह की. आँख मुँह-अँधेरे. ही खुल गई. जबकि रात देर तक पति-पत्नी. खुल जाए. फिर बिशन सिंह को नींद कहाँ।. माई से करवा लिया कर. पर इसे चैन कहाँ! पौचा लग&#2...इस व&#236...

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सृजन-यात्रा: December 2012

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सृजन-यात्रा. सुभाष नीरव का रचना-सफ़र. शनिवार, 1 दिसंबर 2012. मित्रो, कभी-कभी सृजन में भी सूखा आ जाता है। कई-कई महीने कुछ भी सृजनात्मक नहीं लिखा जाता. में भेजते ही स्वीकृत हो गई और जल्द ही प्रकाशित भी हो गई। इसे आप. के दिसम्बर 12 अंक में देख-पढ़ सकते हैं।. अपने ब्लॉग. सृजन-यात्रा. सृजन-यात्रा. में पाठकों के सम्मुख रखता रहूँ। अत: इस बार. आपके समक्ष है।. आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी।. सुभाष नीरव. सुभाष नीरव. आकाश पर पहले एकाएक काले बादल छाये. पता नहीं अन्दर कौन हो. एकाएक बारिश तेज़ ह&#23...गरमी कई द&#2367...

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सृजन-यात्रा: March 2013

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सृजन-यात्रा. सुभाष नीरव का रचना-सफ़र. शुक्रवार, 8 मार्च 2013. मित्रो, इधर नई लिखी लघुकथाओं में से एक लघुकथा. लाजवंती. शीर्षक की लघुकथा हरियाणा साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका. हरिगंधा. के जनवरी 13 अंक में. समकालीन कहानी. के अंतर्गत प्रकाशित हुई है। इसे भी मैं. सृजन-यात्रा. ब्लॉग के माध्यम से आप सबसे साझा कर रहा हूँ।. सुभाष नीरव. लाजवंती. सुभाष नीरव. रसोई साफ की. क्यों. कोई खास बात है. कोई ख़ास बात तो नहीं। बस. एक-एक करके इस्तेमाल करती रहूँ. घर पर ही।. बीबी जी. कहीं जाना है. दोपहर के भोजन ...शाम क&#23...

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पंजाबी लघुकथा: May 2014

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हिंदी साहित्य-जगत को पंजाबी लघुकथा के विभिन्न पक्षों से रूबरू करवाने का प्रयास- - - - - - - -. Sunday, 25 May 2014. गरीब की जाई. प्रीत नीतपुर. ससुराल से पहली बार. इतनी जल्दी, इतना कुछ कैसे बदल गया? वह बुड़बुड़ाई। वास्तव में तो कुछ भी नहीं बदला था, बस उसका भ्रम ही था।. बेटी भुच्चो, ठीक है…? अब मैं भुच्चो नहीं, भूपिंदर कौर हूँ…भूपिंदर कौर…।’. हाँ ताऊ, मैं ठीक हूँ।. कहकर वह अपने पति के नज़दीक होती बोली,. बच्चों के लिए कोई चीज ले लें।. हां, ले ले।. फिर कितने लें…? हाय रब्बा! भुच्चो को...Thursday, 15 May 2014.

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नये कदम-नये स्वर: नया कवि

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नये कदम-नये स्वर. नये सृजन की आहट. मंगलवार, 8 जुलाई 2008. नया कवि. 8216; नये कदम - नये स्वर. आदि में छ्पकर चर्चा में रही हैं, पर उनकी कविताओं का पहला संग्रह “ गुलाबी रंगों वाली वो देह. इस संवेदनशील और प्रतिभावान कवयित्री की कुछ कविताओं को हम ‘ नये कदम – नये स्वर. पांच कविताएं/अंजना बख्शी. 1)बेटियाँ. बेटियाँ रिश्तों-सी पाक होती हैं. जो बुनती हैं एक शाल. अपने संबंधों के धागे से।. बेटियाँ धान-सी होती हैं. पक जाने पर जिन्हें. कट जाना होता है जड़ से अपनी. नई ज़मीन में।. कभी सावन तो कभी ...फटकती रहत&#2368...

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ਪੰਜਾਬੀ ਮਿੰਨੀ ਲੇਖPUNJABI MINNI LEKH: ਮਿੰਨੀ ਕਹਾਣੀ ਦਾ ਸਿਰਲੇਖ

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ਪੰਜਾਬੀ ਮਿੰਨੀ ਲੇਖ. December 23, 2010. ਮਿੰਨੀ ਕਹਾਣੀ ਦਾ ਸਿਰਲੇਖ. ਸ਼ਿਆਮ ਸੁੰਦਰ ਅਗਰਵਾਲ. ਕੀ ਸਾਹਿਤ ਵਿਚ ਵੀ ਅਜਿਹਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਮੇਰਾ ਉੱਤਰ ਹੈ. ਜਦੋਂ ਸਿਰਲੇਖ ਇੰਨਾ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸ ਬਾਰੇ ਗੰਭੀਰਤਾ ਨਾਲ ਵਿਚਾਰ ਕਰਨਾ ਬਣਦਾ ਹੈ।. 1ਸਿਰਲੇਖ ਆਕ੍ਰਸ਼ਕ ਹੋਵੇ. 2ਸਿਰਲੇਖ ਢੁਕਵਾਂ ਹੋਵੇ. 3ਸਿਰਲੇਖ ਕੱਥ ਨੂੰ ਉਜਾਗਰ ਨਾ ਕਰਦਾ ਹੋਵੇ. 4ਸਿਰਲੇਖ ਅਸਪੱਸ਼ਟ ਨਾ ਹੋਵੇ. 5ਸਿਰਲੇਖ ਰਚਨਾ ਨੂੰ ਅਰਥ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੋਵੇ. ਨਹੀਂ ਸਾਬ੍ਹ…ਮੈਂ ਖਾ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਰਿਹਾ ਸੀ ਸਾਬ੍ਹ. ਇਕ ਹੋਰ ਰਚਨਾ ਤੇ ਵਿਚਾਰ ਕਰੀਏ. ਸ਼ਿਆਮ ਸੁੰਦਰ ਅਗਰਵਾਲ. Labels: ਸ਼ਿਆਮ ਸੁੰਦਰ ਅਗਰਵਾਲ. Subscribe to: Post Comments (Atom). ਕੁਲਵ&#...

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Sunday, August 2, 2015. निर्झारिणीको जीवन्त सङ्गीत पनि हो मेरो कविता. उतौला देखिने,. सागरका छालहरुका,. उत्तेजना मात्र होइन,. चंचलता पछिको,. क्रन्दन पनि हो-मेरो कविता।. सौन्दर्यको चुचुरा,. उत्तेजनाको आयतनमा,. आनन्द-चेतनाको,. उपमा दिने,. कामवेद्को प्रणय ऋचा मात्र होइन,. जीवन मरु भूमिमा,. प्राणीको पनि पानीसंग,. अनि पानीको प्राणीसंगको. स्नेह र आत्मियतापनि हो मेरो कविता।. यूद्ध सत्य युगको,. कलि युगमा,. देव-दानवको,. सागर-मन्थनबाट निस्किएको,. अमृत मात्र होइन,. यसकोअनुचित भूलको,. त्यसो त! Friday, July 31, 2015.

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Monday, November 26, 2007. राम सेतु रथ मूदुबिद्रे. Tuluva/ಅಜೆಕಾರು. Silver crown for basadi. Tuluva/ಅಜೆಕಾರು. Silver crown बसदी. Tuluva/ಅಜೆಕಾರು. Kaarthika deepostava at Shree Vemkatramana temple moodbidre. Karthika Deepostava at Moodbidre:. Karthika Deepostava held at Shree Venkatramana Temple Moodbidre. Shree Swamiji of Kashimath's presence was speciality of this years service. न्यूज़. Tuluva/ಅಜೆಕಾರು. Saturday, November 24, 2007. State Level Weight lifting at Yedapadavu. Champions in 29 Th. MA(Kannada lit...

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साहित्य सर्जक. Sunday, September 21, 2014. जिंदगी छू लिया तो एक सिरहन सी हुई. आँख भर देखा तो उस में एक तड़पन सी हुई. बस इसी के सहारे ये जिंदगी चलती रही. और एक पल में इसी से जिंदगी पूरी हुई।. जिंदगी अक्सर अक्सर हमारी पास रहती है कहाँ. सोचते हैं, जिंदगी, पर दूर रहती है कहाँ. हम इसी भटकाव में जीते हैं अक्सर जिंदगी. जिंदगी की मौज है रहती कहाँ है जिंदगी।. जिंदगी को देख लोगे तुम यदि नजदीक से. तब समझ आ जाये शायद जिंदगी यह ठीक से. प्रस्तुतकर्ता. Thursday, March 20, 2014. छोड़े।।. वोट की खात&#2367...उस गा&#23...

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कहानी-कविता. Wednesday, October 29, 2014. भाभी की सेवानिवृति का अवसर जो है।. 8216;‘रात के ग्यारह बज रहे है, अब सो भी जाओ।’’ दिवाकर ने जम्हाई लेते विभा की ओर देखकर कहा- कल का ही दिन बचा है। बहुत कुछ तैयारी अभी बाकी है।. 8216;‘हो जायेगा। क्यों चिंता कर रहे हो भैया? 8217;’ दिवाकर ने विभा की ओर मुखातिब होकर पूछा।. जरा दिखाओ तो सही।’’. देखा न भैया, मैं न कहती थी भाभी के काम का जवाब नहीं। वाह! 8216;‘कैसी लगी? 8217;’ विभा ने पूछाा।. क्यूं भैया? 8216;‘बताओ तो कौन है? 8216;‘बचपन से ही इन्ह...समय पंख लग&#236...

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Saturday, September 29, 2012. आगे बढ़ो …. आगे बढ़ो …. जीवन का पथ. नहीं सरल. पर इतना भी. नहीं गरल. जो सोच. बस ठान लो. अंजाम दो ॰॰॰. आगे बढ़ो. बाधा से. 2416;॰॰. निश्चित. 2416;॰॰॰. नव प्रभात. होगा सुनिश्चित. राजेश बिस्सा. Friday, March 20, 2009. नव भारत की आन तू. नव भारत कि तस्वीर का निर्माण तेरे हाथों में. उठ जाग जा मत सो सबकी आन तेरे हाथों में. देख दुश्मन आँख लगाए, ना बैठ जाये द्वार पर. राजेश बिस्सा 28-01-09. Subscribe to: Posts (Atom). IF YOU WANT TO READ THIS BLOG IN YOUR LANGUAGE, PLEASE SELECT HERE.

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आस्वाद

प्रत्येक गोष्टीवर मत आणि ते हिरीरीने मांडण्याची खुमखुमी या भांडवलावर चालवलेला खटाटोप. दिवाळी पहाट - २०१३ - पी वाय सी क्लब. On Sunday, November 3, 2013. पी वाय सी क्लबच्या दिवाळी पहाट कार्यक्रमाने ही नांदी मोठ्या डौलाने साजरी झाली! सादर करणारे कलाकार होतेच तश्या तोलाचे! वसंतोत्सव २०१० - त्रिलोक गुर्टु. On Sunday, April 4, 2010. शोभा गुर्टुंचे सुपुत्र, त्रिलोक तालवाद्यात उस्ताद आहेत. ...इश्किया. On Friday, February 12, 2010. चार गावचे पाणी प्यायलेले द&#...झणझणित संवाद - ’मौसम ...जुन्या - ...गुलज&#236...