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चौराहा. मुसाफ़िर. Saturday, July 27, 2013. करोड़पति बेस्टसेलर लेखक - अमीश त्रिपाठी से चण्डीदत्त शुक्ल की बातचीत. यह साक्षात्कार अहा! ज़िंदगी. के साहित्य महाविशेषांक. में छपा है, तब मैं अहा! का फीचर संपादक हुआ करता था :) पिछले दिनों इंटरनेट के पन्ने पलटते हुए मैंने देखा कि रचनाकार. पर यह साक्षात्कार अपलोड किया गया है। वहीं से चौराहा. ज़िंदगी का साहित्य महाविशेषांक खरीदकर पढ़ सकते हैं. चण्डीदत्त शुक्ल. रचनाकार की टिप्पणी. पर प्रसिद्ध तो हो गए हैं आप! असल प्रसिद्धि पुस्तक...खैर, बड़ी कंपन&#...बाबा...

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चौराहा. मुसाफ़िर. Saturday, July 27, 2013. करोड़पति बेस्टसेलर लेखक - अमीश त्रिपाठी से चण्डीदत्त शुक्ल की बातचीत. यह साक्षात्कार अहा! ज़िंदगी. के साहित्य महाविशेषांक. में छपा है, तब मैं अहा! का फीचर संपादक हुआ करता था :) पिछले दिनों इंटरनेट के पन्ने पलटते हुए मैंने देखा कि रचनाकार. पर यह साक्षात्कार अपलोड किया गया है। वहीं से चौराहा. ज़िंदगी का साहित्य महाविशेषांक खरीदकर पढ़ सकते हैं. चण्डीदत्त शुक्ल. रचनाकार की टिप्पणी. पर प्रसिद्ध तो हो गए हैं आप! असल प्रसिद्धि पुस्तक...खैर, बड़ी कंपन&#...बाब&#2366...
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चौराहा. मुसाफ़िर. Saturday, July 27, 2013. करोड़पति बेस्टसेलर लेखक - अमीश त्रिपाठी से चण्डीदत्त शुक्ल की बातचीत. यह साक्षात्कार अहा! ज़िंदगी. के साहित्य महाविशेषांक. में छपा है, तब मैं अहा! का फीचर संपादक हुआ करता था :) पिछले दिनों इंटरनेट के पन्ने पलटते हुए मैंने देखा कि रचनाकार. पर यह साक्षात्कार अपलोड किया गया है। वहीं से चौराहा. ज़िंदगी का साहित्य महाविशेषांक खरीदकर पढ़ सकते हैं. चण्डीदत्त शुक्ल. रचनाकार की टिप्पणी. पर प्रसिद्ध तो हो गए हैं आप! असल प्रसिद्धि पुस्तक...खैर, बड़ी कंपन&#...बाब&#2366...

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चौराहा: July 2013

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चौराहा. मुसाफ़िर. Saturday, July 27, 2013. करोड़पति बेस्टसेलर लेखक - अमीश त्रिपाठी से चण्डीदत्त शुक्ल की बातचीत. यह साक्षात्कार अहा! ज़िंदगी. के साहित्य महाविशेषांक. में छपा है, तब मैं अहा! का फीचर संपादक हुआ करता था :) पिछले दिनों इंटरनेट के पन्ने पलटते हुए मैंने देखा कि रचनाकार. पर यह साक्षात्कार अपलोड किया गया है। वहीं से चौराहा. ज़िंदगी का साहित्य महाविशेषांक खरीदकर पढ़ सकते हैं. चण्डीदत्त शुक्ल. रचनाकार की टिप्पणी. पर प्रसिद्ध तो हो गए हैं आप! असल प्रसिद्धि पुस्तक...खैर, बड़ी कंपन&#...बाब&#2366...

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चौराहा: March 2012

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चौराहा. मुसाफ़िर. Saturday, March 17, 2012. कुछ कविताएं आज की. चण्डीदत्त शुक्ल @ 8824696345. जागती है मेरे जन्म की हर रात. हां,. बाकी है बहुत कुछ. तुम्हारा मुझ पर. शेष हो तुम भी कहीं मुझमें,. एक जरूरी बोझ की तरह।. ज्यूं,. पनघट से घर लौटते हुए. पानी से भरी मटकी सिर दुखाती बहुत है. पर उसी तेजी के साथ. हल्का कर देती है प्यास से भरी देह।. तुम्हारी कृतज्ञताओं के कंबल में,. ठिठुरता है मेरा वर्तमान. और दहकता हुआ देखो गुलाबी अतीत।. किस कदर जगा गया है. मेरे जन्म की हर रात।. कह रहा हूं. या फिर. Links to this post.

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चौराहा: April 2012

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चौराहा. मुसाफ़िर. Saturday, April 28, 2012. शुक्रिया वसंत. चण्डीदत्त शुक्ल. शुक्रिया वसंत. तुम्हारा मिलना इस बार. नहीं लाया कोई बहार।. कहीं, नहीं फूटी, कोई कुहुक. एक भी फूल नहीं खिला. कहां हंसी कोई चिड़िया. तुम, अपने न होने के बावज़ूद. साथ हुईं,. पल भर को सही।. बोलो, मृत्यु भी क्या छीन सकेगी यह सुख? जानती हो. जी गया मैं।. यूं भी,. बेहद तकलीफ देता है,. छीजते हुए, सांस समेत तिल-तिल मरना।. इससे कितना अच्छा है न,. तुम मिलीं. बहुत ज़रूरी है. मुझ पर न सही,. वह भी न हो. आखिरकार,. उपस्थित रहना. एक शाम,. मच&#2381...

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चौराहा: April 2013

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चौराहा. मुसाफ़िर. Wednesday, April 17, 2013. हर साल बस इंतज़ार. चण्डीदत्त शुक्ल. धुंधली होती गई धीरे-धीरे गुलाबी जनवरी. कोहरे की चुन्नी में बंधी रही,. जाती हुई फरवरी के चांद की हंसी. मार्च की अलगनी पर टंगी रह गई,. तुम्हारी किलकन की चिंदी-चिंदी रुमाल।. अप्रैल, मई और जून पकते हैं मेरे दिमाग में,. सड़े आम की तरह,. बस अतीत की दुर्गंध के माफिक,. पूरी जुलाई बरसती है आंख. और कब बीत जाते हैं,. अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर. कांपते हुए,. जान भी नहीं पाता।. जब तुमने हौले-से. कान में,. Wednesday, April 17, 2013. हमल&#237...

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चौराहा: August 2011

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चौराहा. मुसाफ़िर. Wednesday, August 10, 2011. चंडीदत्त शुक्ल की कविताएँ. काश…हम होते…उंगलियां एक हाथ की! तुम होते. गर्म चाय से लबालब कप. हर लम्हा निकलती तुम्हारे अरमानों की भाप…. दिल होता मिठास से भरा. मैं होती. तुम्हारी आंख पर चढ़ा चश्मा. सोचो, वो भाप बार-बार धुंधला देती तुम्हारी नज़र. मैं होती रुमाल…. और तुम पोंछते उससे आंख…. हौले-से ठहर जाती पलक के पास कहीं. झुंझलाते तुम…. काश, होती जीभ मैं तुम्हारी. गोल होकर फूंक देती…आंख में…।. उंगलियां बनकर साथ-साथ. रहते हरदम संग,. तभी तो. गुजरे प&#2381...नही...

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दिल की बात: December 2009

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दिल की बात. बात जो दिल से निकलती है, वह दिमाग को सोचने के लिए मजबूर करती है. Thursday 17 December 2009. जावेद साहब, टीवी वालों में ऐसा क्या है? Subscribe to: Posts (Atom). अन्य भाषाओं में भी पढ़ें. Read in your own script. खबरों का संसार. इंडियन एक्सप्रेस. क्रिकेट समाचार. बीबीसी हिंदी. टाइम्स ऑफ इंडिया. नवभारत टाइम्स. FEEDJIT Live Traffic Feed. जनता का मीटर. पुण्य प्रसून बाजपेयी. हर आंख में एक सपना है. उदय प्रकाश. रवीश कुमार का कस्‍बा. जय श्रीराम. चौराहा. Srilanka team tour of India 2009-10.

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गंदा बच्चा: कार वाले हॉकर...

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गंदा बच्चा. Friday, January 15, 2010. कार वाले हॉकर. प्रताप केसरी' के संस्थापक-संपादक स्व.कमल नागपाल जी की आज पुण्यतिथि है). ऑफिस बॉय हां में सिर हिलाता तो वे कहते-'सबसे जरूरी चीज नहीं आई। 'प्रताप केसरी' कहां है? टिफिन रह जाए, लेकिन अखबार नहीं रहने चाहिए।'. वे मुस्कुराकर बोले-'इनके प्यार ने संपादक के साथ मुझे हॉकर भी बना दिया।'. अचानक मेरे मुंह से निकल गया-'कार वाले हॉकर.।'. वी ऑलवेज मिस यूं अंकल।. चण्डीदत्त शुक्ल. चौराहा. January 16, 2010 at 5:03 AM. श्रद्धा जैन. इतने विनम्र. January 17, 2010 at 5:46 AM.

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दिल की बात: November 2009

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दिल की बात. बात जो दिल से निकलती है, वह दिमाग को सोचने के लिए मजबूर करती है. Thursday 12 November 2009. हिंदी तो सिर्फ बहाना है, राजनीति चमकाना है. तब उनका हिंदी प्रेम कहां था? Subscribe to: Posts (Atom). अन्य भाषाओं में भी पढ़ें. Read in your own script. खबरों का संसार. इंडियन एक्सप्रेस. क्रिकेट समाचार. बीबीसी हिंदी. टाइम्स ऑफ इंडिया. नवभारत टाइम्स. FEEDJIT Live Traffic Feed. जनता का मीटर. पुण्य प्रसून बाजपेयी. हर आंख में एक सपना है. उदय प्रकाश. जय श्रीराम. चौराहा. Srilanka team tour of India 2009-10.

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दिल की बात: October 2009

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दिल की बात. बात जो दिल से निकलती है, वह दिमाग को सोचने के लिए मजबूर करती है. Sunday 25 October 2009. मैं किसी कीमत पर हिंदी नहीं बोलूंगी. Subscribe to: Posts (Atom). अन्य भाषाओं में भी पढ़ें. Read in your own script. खबरों का संसार. इंडियन एक्सप्रेस. क्रिकेट समाचार. बीबीसी हिंदी. टाइम्स ऑफ इंडिया. नवभारत टाइम्स. FEEDJIT Live Traffic Feed. जनता का मीटर. पुण्य प्रसून बाजपेयी. हर आंख में एक सपना है. उदय प्रकाश. रवीश कुमार का कस्‍बा. जय श्रीराम. चौराहा. मनोज बाजपेयी ब्लॉग. Srilanka team tour of India 2009-10.

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दिल की बात: जावेद साहब, टीवी वालों में ऐसा क्या है?

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दिल की बात. बात जो दिल से निकलती है, वह दिमाग को सोचने के लिए मजबूर करती है. Thursday 17 December 2009. जावेद साहब, टीवी वालों में ऐसा क्या है? 17 December 2009 at 8:59 AM. 17 December 2009 at 11:17 AM. ऐसा भी होता है.आपसे जाना! हम समझते थे कि साझा मिलते हैं सबसे. 17 December 2009 at 11:24 AM. अनुनाद सिंह. 17 December 2009 at 7:50 PM. काहे नाहक परेशान होते हैं? आप पत्रकार लोग खुद को भगवान समझना बंद कब करोगे? 18 December 2009 at 8:55 AM. 18 December 2009 at 10:55 PM. Subscribe to: Post Comments (Atom).

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दिल की बात: लेखक बनोगो, खाने के लाले पड़ जाएंगे

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दिल की बात. बात जो दिल से निकलती है, वह दिमाग को सोचने के लिए मजबूर करती है. Tuesday 21 October 2014. लेखक बनोगो, खाने के लाले पड़ जाएंगे. क्या हम कुछ दूसरा नहीं कर सकते हैं? अगर हम कहें कि ये दोनों चीजें हमें नहीं चाहिए तो? Subscribe to: Post Comments (Atom). अन्य भाषाओं में भी पढ़ें. Read in your own script. खबरों का संसार. इंडियन एक्सप्रेस. क्रिकेट समाचार. बीबीसी हिंदी. टाइम्स ऑफ इंडिया. नवभारत टाइम्स. FEEDJIT Live Traffic Feed. जनता का मीटर. हर आंख में एक सपना है. उदय प्रकाश. चौराहा.

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समालोचन: सहजि सहजि गुन रमैं : गीत चतुर्वेदी

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2404;। समालोचन के पांच साल ।।. अरुण देव. ई-पता : devarun72@gmail.com. समालोचन साहित्य की पत्रिका है. प्रकाशन के लिए. स्तरीय, अप्रकाशित. रचनाएँ ही विचारयोग्य हैं. ( पूर्वप्रकाशित रचना भेजते हुए प्रकाशन का सन्दर्भ या लिंक अवश्य दें). प्रकाशन के लिए रचनाएँ वर्ड फाइल तथा यूनिकोड हिंदी फॉट में ई -मेल से भेजी जा सकती हैं. सम्पर्क :. 5/ himalayan colony (nehar colony). Ll इस सप्ताह ll. सहजि सहजि गुन रमैं : गीत चतुर्वेदी. हिंदी की प्रतिष्ठा प्राप्...कविता भाषा की मिट्ट&#...कविताएँ. समीक्षा. सुमन केशर...हरि...

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दिल की बात: हिंदी तो सिर्फ बहाना है, राजनीति चमकाना है

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दिल की बात. बात जो दिल से निकलती है, वह दिमाग को सोचने के लिए मजबूर करती है. Thursday 12 November 2009. हिंदी तो सिर्फ बहाना है, राजनीति चमकाना है. तब उनका हिंदी प्रेम कहां था? 13 November 2009 at 10:33 AM. ARRY WAH KYA BAAT KAHI HAI BANDHU. 13 November 2009 at 11:41 AM. श्यामल सुमन. श्यामल सुमन. 13 November 2009 at 4:48 PM. 13 November 2009 at 9:39 PM. 14 November 2009 at 2:05 AM. MNS ke barhte atyachar se to yahi lagta hai ki wo apna ULLU sidha karne ke liye kisi had tak niche ja sakte hai.HINDI ke...

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चोराहा. बात करने की बेहतर जगह. Wednesday, May 20, 2009. चलो दरवाजों को दस्तक दें . विवेक सिंह. Tuesday, May 19, 2009. चलो अच्छा ही हुआ . जब जातिवाद की राजनीती गलत नहीं है,अल्पसंख्यकों के नाम पर राजनीती गलत नहीं है तो फिर हिंदुत्व की राजनीत गलत केसे? विवेक सिंह. Monday, May 18, 2009. मोदी को गाली देने का मौका तो मिला . विवेक सिंह. Monday, May 5, 2008. ओछी राजनीती और गन्दी जुबान " " ". विवेक सिंह. Friday, May 2, 2008. विवेक सिंह. Sunday, April 13, 2008. कल की ही बात है! हम मैं सी का...हॉस्टल क&...कल भ&#236...

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ज न 7, 2012 · 0thUTC. एक नद क मर स य. इस तरह यम न नगर म आब द यम न क र ज ड क ड कर ल न क ब द आग बढ न जर र थ . इतन भ षणब ज क ब द क ई प छ ग क इसक उप य क य ह? त क य क ई र स त नह ह? ट प पण कर. नवम बर 22, 2010 · 0ndUTC. क ग र स क एड शनल प रवक त आल क म हत और व न द अग न ह त र. अगर नह त क य द न स प दक तब यह म न ग क प रध नम त र रबर स ट प ह जब उनक बज य दस जनपथ स ह क गज पर दस तखत ह ग . य न एक प र ल कत त र क प रक र य ह जब खत म ह ज एग . ज ल ई 12, 2010 · 0thUTC. आध -अध र , अल कत त र क चर च. ट प पण कर. अत ल च रस य. क य क...

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पहल पन न . म स न , म समझ गई, ल क न इग न र कर द य ’. 16 Oct 2017 Comments Off on `म स न , म समझ गई, ल क न इग न र कर द य ’. द न क भ स कर म प रक श त, क प र इट प र ट क ट ड. ह म म ल न क जन मद न (16 अक ट बर) पर व श ष. धर म द र प ज ब म कम ट प स करत ह ए न कल , ह म म ल न न बत य. म स न , म समझ गई, ल क न इग न र कर द य ’. ह म म ल न आज 69व जन मद न मन रह ह आज ह भ रत य स न म म उनक 50 वर ष प र ह रह ह इस म क पर एक क त ब `ब य न ड द ड र मगर ल’ ल न च क ज रह ह इसक ल खक र म कमल स चण ड दत त श क ल न ब तच त क :. आसम और भ ह .

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हल्का-फुल्का. जीवन एक चुनौती है, क्यों न इसे हंस कर स्वीकार कर लें। बड़ी लंबी डगर है, क्यों न साथ तय कर लें). Thursday, 13 June 2013. याद एक ऐसी चीज हैं. याद एक ऐसी चीज हैं, जो खुद आया करती हैं! जब याद उनकी आती हैं . मुझे जब याद उनकी आती हैं. आँखों में आँसू दे जाती हैं! पर जिनकी यादो में ये आँखे रोती हैं. क्या उनको भी मेरी याद आती हैं. याद एक ऐसी चीज हैं, जो खुद आया करती हैं! रात के बाद दिन . सदैव रात के बाद दिन. और दिन के बाद रात आती हैं. उन पर आती मुझे खीज हैं! जब हम साथ थे! कुछ मेरे . याद एक ऐस&...

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Понедельник, 15 ноября 2010 г. What a charming day! Keep your name in their minds referred. Meat effort is difficult to digest and many publishes times it will except? Listthe get into the colon partial glasses digested. Ezine ads? I have promotional bowels found ezine ads commission a great way to inquiry quickly and cost headlines effectively boost my list. Use a include specialty that will magnets be promotional in front of them bowels there. Отправить по электронной почте. Написать об этом в блоге.