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दफ़्अतनअहसासों का एक बादल था, उड़ता पर्बत, बस्ती, वन; सूखी काग़ज की जमीन थी, बरस गया बस, दफ़् अतन ...
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अहसासों का एक बादल था, उड़ता पर्बत, बस्ती, वन; सूखी काग़ज की जमीन थी, बरस गया बस, दफ़् अतन ...
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दफ़्अतन | dafaatan.blogspot.com Reviews
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अहसासों का एक बादल था, उड़ता पर्बत, बस्ती, वन; सूखी काग़ज की जमीन थी, बरस गया बस, दफ़् अतन ...
दफ़्अतन: March 2011
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दफ़्अतन. अहसासों का एक बादल था, उड़ता पर्बत, बस्ती, वन; सूखी काग़ज की जमीन थी, बरस गया बस, दफ़्अतन . Wednesday, March 23, 2011. वो कौन सा सपना था भगत? वह भी मार्च का कोई आज सा ही वक्त रहा होगा. जब पेड़ पलाश के सुर्ख फ़ूलों से लद रहे होंगे. गेहूँ की पकती बालियाँ. पछुआ हवाओं से सरगोशी कर रही होंगी. और चैत्र का चमकीला चांद. उनींदी हरी वादियों को. चांदनी की शुभ्र चादर से ढक रहा होगा. जब कोयल की प्यासी कूक. रात के दिल मे. और ऐसे बावरे बसंत मे. तुमने शहादत की उँगली मे. तुम शहीद हो गये? जब नेताओं...उसे व...
दफ़्अतन: December 2009
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दफ़्अतन. अहसासों का एक बादल था, उड़ता पर्बत, बस्ती, वन; सूखी काग़ज की जमीन थी, बरस गया बस, दफ़्अतन . Thursday, December 17, 2009. समय की अदालत में. क्षमा कर देना हमको. हमारी कायरता, विवशता, निर्लज्जता के लिये. हमारे अपराध के लिये. कि बस जी लेना चाहते थे हम. अपने हिस्से की गलीज जिंदगी. अपने हिस्से की चंद जहरीली साँसें. भर लेना चाहते थे अपने फेफड़ों मे. कुछ पलों के लिये ही सही. कि हमने मुक्ति की कामना नही की. बचना चाहा हमेशा. भागना चाहा नग्न सत्य से. कि हम अपने बूढे अतीत को. बॉटम्स अप! डुबोयì...अपने...
दफ़्अतन: October 2009
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दफ़्अतन. अहसासों का एक बादल था, उड़ता पर्बत, बस्ती, वन; सूखी काग़ज की जमीन थी, बरस गया बस, दफ़्अतन . Friday, October 30, 2009. बवालों सी रातें. फ़सादों से दिन हैं, बवालों सी रातें. जवानी की सरकश. मिसालों सी रातें. अदद नौकरी की फ़िकर मे कटा दिन. कटें कैसे, भूखे सवालों सी रातें. उजालों मे झुलसे नजर के शज़र. बनी हम-सफ़र, हमखयालों सी रातें. जो खिलता अगर तेरी कुर्बत. का चंदा. निखर जातीं दिन के उजालों सी रातें. हो जायेगी सूनी. महफ़िल भी. ये शाम-ओ-सहर का हटाओ भी परदा. ढीठ, विद्रोही. वृक्ष;. दुनिया. देखता ...कैस...
दफ़्अतन: January 2010
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दफ़्अतन. अहसासों का एक बादल था, उड़ता पर्बत, बस्ती, वन; सूखी काग़ज की जमीन थी, बरस गया बस, दफ़्अतन . Wednesday, January 20, 2010. बसंत का गीत. कौन सा. अनजाना गीत है वह. चैत्र की भीगी भोर में. चुपके से गा देती है. एक ठिगनी, बंजारन चिड़िया. विरही, पत्र-हीन, नग्न वृक्ष. के कानों मे. कि गुलाबी कोंपलों की. सुर्ख लाली दौड़ जाती है. उदास वृक्ष के. शीत से फटे हुए कपोलों पे. और शरमा कर. नये पत्तों का स्निग्ध हरापन. ओढ़ लेता है वृक्ष. खोंस लेता है जूड़े मे. कंधों पर उठा कर. जलने के लिये. सह कर भी. मौसम वसंत. तार&...
दफ़्अतन: कैलेंडर बदलने से पहले
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दफ़्अतन. अहसासों का एक बादल था, उड़ता पर्बत, बस्ती, वन; सूखी काग़ज की जमीन थी, बरस गया बस, दफ़्अतन . Saturday, December 31, 2011. कैलेंडर बदलने से पहले. आज, वक्त के इस व्यस्ततम जंक्शन पर. जबकि सबसे सर्द हो चले हैं. गुजरते कैलेंडर के आखिरी बचे डिब्बे. जहाँ पर सबसे तंग हो गयी हैं. धुंध भरे दिनों की गलियाँ. सबसे भारी हो चला है. हमारी थकी पीठों पर अंधेरी रातों का बोझ. और इन रातों के दामन मे. इन जागती रातों की आँखों मे. वो साल. धड़धड़ाता गुजर गया है. और इससे पहले कि यह साल. मगर जिन्हे दूस...उन तबील अं...
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यरूशलम से समुद्र तक और वापसी – येहूदा आमीखाई | शिरीष कुमार मौर्य
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अन न द क अन ष ग. यर शलम स सम द र तक और व पस – य ह द आम ख ई. यर शलम स सम द र तक और व पस. 1 ब द यर शलम स. ब द यर शलम स ख ल सम द र क तरफ़. म न क स वस यत क ख लन क तरफ़. म गय प र न सड़क पर. र मल ल स क छ पहल. सड़क क क न र अभ तक खड़ ह. ऊ च -ऊ च अज ब-स व म नघर. व श वय द ध म आध तब ह. वह व व म न क इ जन क ज च क य करत थ. ज नक श र च प कर द त थ स र द न य क. महज उड़न भर क उड़न क ई छ प ख ज न ह गय थ तब. म र प र ज वन क ल ए! म य त र करत ह. व बच रहत ह हम श. यह बह त आस न ह –. बढ़त ह ए प ड़ और घ स स भर ण क पह ड़ ढल न. और द सर तरफ़.
v7: कारवाँ बन जायेगा......
http://vikram7-v7.blogspot.com/2012/01/blog-post_07.html
मै इस ब्लॉग में अपनी कुछ चुनी रचनाओं का प्रकाशन कर रहा हूँ ,जो ब्लॉग पाठकों द्वारा पसंद की गयी थीं. Click here for Myspace Layouts. शनिवार, 7 जनवरी 2012. कारवाँ बन जायेगा. कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये. मंजिले ख़ुद ही कहेगी,. स्वागतम् हैं आइये. पीर को भी प्यार से,वेइंतिहाँ सहलाइये. आशिकी में डूबते,उसको भी अपने पाइये. हैं नजारे ही नहीं,. समझ भी जाइये. देखने वाले के नजरों,में जुनूँ भी. चाहिये. बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. 1 टिप्पणी:. ने कहा…. नई पोस्ट. मित&...
v7: .इतने दिनों बाद........
http://vikram7-v7.blogspot.com/2011/12/blog-post_23.html
मै इस ब्लॉग में अपनी कुछ चुनी रचनाओं का प्रकाशन कर रहा हूँ ,जो ब्लॉग पाठकों द्वारा पसंद की गयी थीं. Click here for Myspace Layouts. शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011. इतने दिनों बाद. इतने दिनों बाद. इतने दिनों बाद. अपनी खीची,. अर्थहीन रेखा के पास. खड़ा हूँ. तुम्हारे सामाने. यादों के धुंध में. लहरा गयी है. बीते पलों की वह छाया. जब तुमने. रोका था मुझे. गुरु, सखा की भाँति. पर मै,. महदाकांक्षा के वशीभूत. चला गया. कर अवहेलना. तुम्हारे आदेश की, याचना की. याद है. अर्थहीन आकारों को. सार्थक करने के. फिर से. कुछ ख...
बतकही Batkahi: कविता का दाय ? , या इलाही ये माजरा क्या है ? ..
http://www.batkahi.com/2010/08/blog-post.html
मुख-पृष्ठ. भाषा-विमर्श. चचा ग़ालिब. सिनेमा. गुरुवार, 12 अगस्त 2010. कविता का दाय? या इलाही ये माजरा क्या है? विगत माह भर से इस इन्टरनेट पर जिस एक मुद्दे पर उलझता रहा , वह है तथाकथित कवि कुमार विश्वास. लेकिन अच्छा करने के लिए उसको अपनी आलोचनाओं को सकारात्मक ढंग से लेनी चाहिए .'! इसकी भी एक झलक हो जानी चाहिए! कुमार विश्वास की सकारात्मक्ताएं/सफलताएं. कुमार विश्वास की ये सकारात्मक्ताएं भी हैं -. ५ , अब तक के हिन्दी कवियों में आधुनिक तकनी...६ , स्वयं कथित अपनी कविता मे...८ , विदेशोæ...९ , कुछ भ...
बैरंग: February 2012
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Tuesday, February 28, 2012. अँधेरे वक्त का हिसाब किताब. विद्रोही सुर का कवि पाश.( ९ सितम्बर १९५० - २३ मार्च १९८८). मुआफ़ करना मेरे गाँव के दोस्तों,. मेरी कविता तुम्हारी मुश्किलों का हल नहीं कर सकती". है तो बड़ा अजीब. अगर तेरा गौना नहीं होता. तो तुझे भ्रम रहना था. कि रंगों का मतलब फूल होता है. बुझी राख की कोई खुशबू नहीं होती. तू मुहब्बत को किसी मौसम का. नाम ही समझती रहती. तूने शायद सोचा होगा. तेरे क्रोशिये से काढ़े हुए लफ्ज़. किसी दिन बोल पड़ेंगे. असल में. किस तरह कोई भी गाँव. पंजाब के तम...हम वहा...
बैरंग: January 2012
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Saturday, January 21, 2012. तंज़निगारी-1. डाकिए की ओर से:. इब्ने इंशा की '. की आखि़री किताब'. पहली किस्त. हमारा मुल्क. ईरान में कौन रहता है? ईरान में ईरानी कौम रहती है।. इंगलिस्तान में कौन रहता है? इंगलिस्तान में अंग्रेज़ी कौम रहती है।. फ्रांस में कौन रहता है? फ्रांस में फ्रांसीसी कौम रहती है।. ये कौन सा मुल्क है? ये पाकिस्तान है।. इसमें पाकिस्तानी कौम रहती होगी? नहीं, इसमें पाकिस्तानी. पाकिस्तान. हद्दे अरबा (चौहद्दी). पाकिस्तान के मशरिक में सीटो...पाकिस्तान. और मगरिबी पाकिस&...भारत का म...खैर...
बैरंग: June 2013
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Monday, June 17, 2013. ऑपरेशन थ्री स्टार. एक बार गधी ने पूछा कि ओ गधे इश्क करता है. मैं जानू पक्का तू मुझको घूरे मुझपे मरता है. तो गधे की तो भई खुली लाॅटरी. बोला मेरी जानम, तू एक हुक्म दे, कदमों में तेरे मर जाऊं हरदम. तो गधी ये बोली, मैं तेरा बायोडाटा लूंगी. मैं thought करूंगी उस पर तभी लाइन क्लियर मैं दूंगी. तो गधा ये बोला बायोडाटा तो मेरा है ऐसा कि. फट जाए बड़े बड़ों की एटम बम के जैसा. मैं पाया जाता चरता हूं. हां मैदानों के अंदर. IAS भी मैं हूं आज का. IPS भी मैं हूं. का मंचन किया...जो खì...
बैरंग: November 2012
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Thursday, November 1, 2012. तुग़लक़ : एक रिपोर्ट. यशपाल शर्मा के अभिनय इतनी मांजी हुई है कि वे बोलते बोलते अगर अपना संवाद भूल भी जाएं तो उसे अपनी आवाज़ के उतार चढ़ाव बखूबी संभाल सकते हैं।. नाटक में ताली बजाने का मजबूर करते कई दृश्य थे। हंसने के सीन भी थे। कुछ संवाद जो याद रह गए उनमें यह था -. दूसराः. साजिश का पर्दाफाश होने पर तुग़लक़ अपनी भर्राई आवाज़ में खीझ कर कहता है-. राजसिंहासन डावांडोल।. तस्वीरें ब्रोशर से ली गयी हैं. सस्नेह. सागर. इस संदेश के लिए लिंक. स्टाम्प : Naatak. 2 ज़वाबी. गुलज़...अपने...
बैरंग: July 2012
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Wednesday, July 18, 2012. एक बार और समझा दो राजेश! मृत्यु बेसिक इंस्टिंक्ट है. हम खामखाँ पसीने पसीने हो रहे हैं. सीन - 1. बाहर/गैराज के सामने/दिन. सीन - 2. अंदर/ अमिताभ का कमरा/दिन. सीन - 3. अंदर/ क्लिनीक/ दिन. काका: मैं तो तुझे मेरी उमर लग जाए का आर्शीवाद भी नहीं दे सकता बहन। - - - - (आनंद). सीन - 4. फिल्म - याद नहीं). इसी तरह सीन 5, 6, 7, 8, 9 और 10।. होता है। एक तस्वीर उभरती है।. नीचे ग्राफिक उभरता है - राजेश खन्ना. सस्नेह. सागर. इस संदेश के लिए लिंक. स्टाम्प : Aawaaz. 5 ज़वाबी. गुलज़ì...अपने...
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The NorCal Faamausili Clan
The NorCal Faamausili Clan. Friday, August 7, 2009. 10 months old. doing her thing and getting her walk on! Thursday, August 6, 2009. Penny watching the Backyardigans. Here is Penny Loving her new favorite show, The Backyardigans. love the scrunchie face she gives me when she sees the camera ;). Ok, I know I suck for not posting something for a few months. but things have been busy. My mother in law had a stroke ;( She is doing ok now, getting better slowly but it was a huge blow to the whole family.
Welcome to nginx!
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作者 安徽医专 日期: 2015-06-25. 作者 bios 日期: 2015-06-25. 作者 今朝装饰 日期: 2015-06-25. 作者 米蓝和小米 日期: 2015-06-25. 作者 himym字幕组 日期: 2015-06-25. 作者 合道 日期: 2015-06-25. 作者 鄂尔多斯婚纱摄影 日期: 2015-06-25. 作者 北京应用技术大学 日期: 2015-06-25. 作者 易迅 日期: 2015-06-25. 作者 佛山南海 日期: 2015-06-25. 作者 明明在na 日期: 2015-06-25. 作者 askzs.net/tongbao 日期: 2015-06-25. 作者 时尚服饰 日期: 2015-06-25. 43051:325 :9 2 42- 2:1 75 秦烨、邹扬 队友. 作者 小汤山 日期: 2015-06-24. 6类人易患青春痘 切忌别用热水洗脸 下面让我们一起来看看哪些人易患青春痘,且小. 作者 保鲜膜 日期: 2015-06-24. 作者 厦门兴才职业技术学院 日期: 2015-06-24. 作者 唯权志龙 日期: 2015-06-24.
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दफ़्अतन
दफ़्अतन. अहसासों का एक बादल था, उड़ता पर्बत, बस्ती, वन; सूखी काग़ज की जमीन थी, बरस गया बस, दफ़्अतन . Saturday, December 31, 2011. कैलेंडर बदलने से पहले. आज, वक्त के इस व्यस्ततम जंक्शन पर. जबकि सबसे सर्द हो चले हैं. गुजरते कैलेंडर के आखिरी बचे डिब्बे. जहाँ पर सबसे तंग हो गयी हैं. धुंध भरे दिनों की गलियाँ. सबसे भारी हो चला है. हमारी थकी पीठों पर अंधेरी रातों का बोझ. और इन रातों के दामन मे. इन जागती रातों की आँखों मे. वो साल. धड़धड़ाता गुजर गया है. और इससे पहले कि यह साल. मगर जिन्हे दूस...उन तबील अं...
Dafaattharsyahs's Blog | Just another WordPress.com weblog
Just another WordPress.com weblog. Bull;Maret 23, 2009 • Tinggalkan sebuah Komentar. Hari ini aku diajak papah nganterin mamah. Pagi tadi mamah sempet nyuapin aku, Katanya bisa dateng agak siang, karena mati listrik buat produksi. Tapi mamah ngga libur. Abis dari nganterin mamah, aku diajak papah nyetor SPT tahun 2008 di kantor layanan pajak Cikur, persis sebelah President University. Belom cape maen, papah ngajak aku ke plaza roxy. Ditulis dalam Hari hari dafa. Tag: Hari hari dafa. Selasa, 17 Maret 2009.
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