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साझी धरती : 05/07/15
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साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. गुरुवार, 7 मई 2015. हर्क्युलिस के कंधे. धरती थर-थर कांप रही है. मनुष्य के भय से. और मनुष्य. प्रकृति के प्रकोप से. हर्क्युलिस के कंधे झुक गए हैं. बोझ से. बार-बार पांव फिसल जाता है. उस बूढ़े देवता का. और मुश्किल यह है. कोई नया देवता. पैदा ही नहीं हुआ. लाखों वर्ष से . दोष किसका है, पता नहीं. वास्तविकता यह है. कि बार-बार खुल जाते हैं. धरती के अधपके घाव. धरती की. सवाल यह है कि. इस मरहम-पट्टी में. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. जीवन-स&#...
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साझी धरती : 11/20/14
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साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. गुरुवार, 20 नवंबर 2014. ईश्वर का अवतार! भ्रम कहां टूटते हैं. इस देश में? एक भ्रम टूटता लगता है. तो और सौ नए भ्रम. पैदा कर दिए जाते हैं. समाज के हर छोर से. प्रकट हो जाते हैं. भ्रमों के समर्थक. भीड़ बढ़ती चली जाती है. हर भगवा, हर हरे रंग के लिबास वालों के. इर्द-गिर्द! जो लोग बिना भ्रम के. जीना चाहते हैं. वे क़रार दिए जाते हैं. धर्म और राष्ट्र के शत्रु. यहां तक कि आतंकवादी भी! शासक-वर्ग चाहता है. और हम हैं. एक नया भ्रम. जीवन-स...
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साझी धरती
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साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. शनिवार, 2 मई 2015. नमस्कार, मित्रों! Pid=9789384159115&icmpid=reco pp same book book 3&ppid=9789384159146. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). हमारी वाणी का क्लिक बटन. मुखपृष्ठ. मेरी ब्लॉग सूची. साझा आसमान. 1 माह पहले. 160; ...
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साझी धरती : 11/07/14
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साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. शुक्रवार, 7 नवंबर 2014. असंभव है. समुद्र की तलहटी को. अंतरिक्ष में छलांग लगाना. और अपनी मुट्ठी में. चांद-तारे क़ैद कर लाना. संसार की नवीनतम तकनीक. और सर्व-सक्षम मशीनों. और सबसे शक्तिशाली. मनुष्य के लिए. यहां तक कि. कवि के मन. और कल्पनाशक्ति के लिए भी! आसान है. असंभव को लक्ष्य बना कर. स्वयं को. और समाज को. भ्रमित कर लेना! सुरेश स्वप्निल. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. जीवन-साथ...160; ...
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साझी धरती : 11/06/14
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साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. गुरुवार, 6 नवंबर 2014. हरसिंगार: दो कविताएं. हरसिंगार : एक. ठीक नहीं. मन को हरसिंगार. बना लेना. सारी संवेदनाएं. झर जाती हैं. धीरे-धीरे. और तुम्हें. पता भी नहीं. चलता कभी! हरसिंगार: दो. क्या फ़ायदा. हरसिंगार होने से. अब यहां. दुआ मांगने भी. नहीं आते. कोई आंचल. नहीं फैलाता अब. सुंदरता बटोरने! सुरेश स्वप्निल. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मुखपृष्ठ. जीवन-सा...160; ...
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साझी धरती : 11/18/14
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साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. मंगलवार, 18 नवंबर 2014. शास्त्र या शस्त्र. और शिष्टाचार के विपरीत. कहना पड़ सकता है. आज मुझे. कुछ अ-सांस्कृतिक. और अ-श्लील शब्द. संभवतः, उधार लेकर. अपने शत्रुओं की भाषा से. शस्त्र भी उठाने पड़ सकते हैं. हिंस्र पशुओं के समक्ष. शब्द असफल हो जाते हैं. शास्त्र या शस्त्र. चुनाव तो करना ही होगा. सुरेश स्वप्निल. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मुखपृष्ठ. 1 माह पहले. जीव...
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चर्चामंच: "एक चिराग मुहब्बत का" {चर्चा - 1984}
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Saturday, May 23, 2015. एक चिराग मुहब्बत का" {चर्चा - 1984}. मित्रों।. शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।. देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). एक चिराग मुहब्बत का . नयी उड़ान. विनती है तुझसे. कण कण में तेरा वास प्रभू. यही सुना है बचपन से. फिर भी इतना अंतर क्यूं. धनिक और ग़रीबों में. होती है बहुत होती है. अंदर ही अंदर. किसी को बहुत ही. परेशानी होती है. उलूक टाइम्स. पर सुशील कुमार जोशी. बुजुर्गों का. भटक रहा सड़कों पर. बीता हुआ कल. चांदनी रात. मन की व्यथा. अख्तर अली. विवí...
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जिंदगी की राहें: 05/11/15
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Monday, May 11, 2015. दो क्षणिका. खाली कनस्तर सी हो गयी. तुम्हारी स्मृतियाँ, झूठी - सच्ची. रखूं किसी अलमारी में, या. या, कबाड़ी वाले को ही न बेच दूं? ऐसे ही एक ख्याल :). मेरी हथेली में. है कटी-फटी रेखाएँ. जीवन, भाग्य और प्रेम की. पर है सिर्फ एक. खुशियों का आभासी द्वीप. अंगूठे के नीचे. ठीक बाएं कोने पर! उम्मीदें जवां हैं :). प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: अलमारी. क्षणिका. Subscribe to: Posts (Atom). मुकेश कुमार सिन्हा. मेरे ब्लॉग. जिंदगी की राहें. मन के पंख. जाड़े की श&#...Kalam ya ki talwar:.
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जिंदगी की राहें: 06/09/15
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Tuesday, June 9, 2015. मेघ की आहट में. मचलता मोर. मेरे रंगीले सपने. जैसे मोर के सुनहले पंख! मेरी उम्मीद. जैसे छोटा सा उसका. तिकोना चमकता मुकुट! मेरी वास्तविकता. नाचते मोर के भद्दे पैर! नजर पड़ी जैसे ही. उन कुरूप पैरों पर. रुक गया नाचना थिरकना. उम्मीद सपने और वास्तविकता के साथ! मैं मोर नहीं उसका भद्दा पैर! प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. Subscribe to: Posts (Atom). कविता कोश पर मुकेश कुमार सिन्हा की कवितायें. मुकेश कुमार सिन्हा. मेरे ब्लॉग. जिंदगी की राहें. मन के पंख. Kalam ya ki talwar:. कल अपनी...
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जिंदगी की राहें: 06/26/15
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Friday, June 26, 2015. क्षणिकाएं. मेरी राख पर. जब पनपेगा गुलाब. तब 'सिर्फ तुम' समझ लेना. प्रेम के फूल! इन्तजार करूँगा सिंचित होने का :). मेरी इच्छाएं रहती है हदों में,. पर नींद में कर जाता हूँ. सीमाओं का अतिक्रमण! हदों के पार :). कल रात ख़्वाबों के बुने स्वेटर. पर भोरे भोरे एक फंदा उतरा. सारे सपने ही उधड़ते चले गये. चलो गर्मी आ गयी इस रात सपनों का पंखा चलेगा. प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: इच्छा. क्षणिकाएं. Subscribe to: Posts (Atom). मुकेश कुमार सिन्हा. मेरे ब्लॉग. मन के पंख. जाड़&...कल अपन...