sureshswapnil.blogspot.com sureshswapnil.blogspot.com

sureshswapnil.blogspot.com

साझा आसमान

साझा आसमान. साझा आसमान हर उस पंछी की विरासत है जो आज़ाद है और उड़ान भरना चाहता है. शनिवार, 15 अगस्त 2015. उधर जाएंगे, या . जो जज़्बात ज़ेरे-बह् र आएंगे. नज़र में समंदर नज़र आएंगे. ज़रा और नज़दीक़ आ जाएं दिल. नक़ूशे-मुहब्बत उभर आएंगे. शबो-शब हमें याद करते रहें. ख़ुदा की क़सम, दिन संवर आएंगे. रखेंगे कहां तक हमें मुंतज़िर. कभी तो मियां राह पर आएंगे. इधर घर हमारा, उधर मैकदा. उधर जाएंगे या इधर आएंगे? बिठाया जिन्होंने तुझे तख़्त पर. वही क़ब्र तक छोड़ कर आएंगे. मुअज़्ज़िन! न दीजो अज़ां ज़ोर से. शब्दार्थ:. इसे ब्ल...Twitter प...

http://sureshswapnil.blogspot.com/

WEBSITE DETAILS
SEO
PAGES
SIMILAR SITES

TRAFFIC RANK FOR SURESHSWAPNIL.BLOGSPOT.COM

TODAY'S RATING

>1,000,000

TRAFFIC RANK - AVERAGE PER MONTH

BEST MONTH

July

AVERAGE PER DAY Of THE WEEK

HIGHEST TRAFFIC ON

Saturday

TRAFFIC BY CITY

CUSTOMER REVIEWS

Average Rating: 2.7 out of 5 with 7 reviews
5 star
1
4 star
0
3 star
4
2 star
0
1 star
2

Hey there! Start your review of sureshswapnil.blogspot.com

AVERAGE USER RATING

Write a Review

WEBSITE PREVIEW

Desktop Preview Tablet Preview Mobile Preview

LOAD TIME

0.8 seconds

FAVICON PREVIEW

  • sureshswapnil.blogspot.com

    16x16

  • sureshswapnil.blogspot.com

    32x32

  • sureshswapnil.blogspot.com

    64x64

  • sureshswapnil.blogspot.com

    128x128

CONTACTS AT SURESHSWAPNIL.BLOGSPOT.COM

Login

TO VIEW CONTACTS

Remove Contacts

FOR PRIVACY ISSUES

CONTENT

SCORE

6.2

PAGE TITLE
साझा आसमान | sureshswapnil.blogspot.com Reviews
<META>
DESCRIPTION
साझा आसमान. साझा आसमान हर उस पंछी की विरासत है जो आज़ाद है और उड़ान भरना चाहता है. शनिवार, 15 अगस्त 2015. उधर जाएंगे, या . जो जज़्बात ज़ेरे-बह् र आएंगे. नज़र में समंदर नज़र आएंगे. ज़रा और नज़दीक़ आ जाएं दिल. नक़ूशे-मुहब्बत उभर आएंगे. शबो-शब हमें याद करते रहें. ख़ुदा की क़सम, दिन संवर आएंगे. रखेंगे कहां तक हमें मुंतज़िर. कभी तो मियां राह पर आएंगे. इधर घर हमारा, उधर मैकदा. उधर जाएंगे या इधर आएंगे? बिठाया जिन्होंने तुझे तख़्त पर. वही क़ब्र तक छोड़ कर आएंगे. मुअज़्ज़िन! न दीजो अज़ां ज़ोर से. शब्दार्थ:. इसे ब्ल&#23...Twitter प...
<META>
KEYWORDS
1 translate
2 suresh swapnil
3 अफ़सोस
4 hamariwani
5 समर्थक
6 october
7 लेबल
8 bhopal
9 gazal
10 google followers
CONTENT
Page content here
KEYWORDS ON
PAGE
translate,suresh swapnil,अफ़सोस,hamariwani,समर्थक,october,लेबल,bhopal,gazal,google followers,संदेश,atom,raftar
SERVER
GSE
CONTENT-TYPE
utf-8
GOOGLE PREVIEW

साझा आसमान | sureshswapnil.blogspot.com Reviews

https://sureshswapnil.blogspot.com

साझा आसमान. साझा आसमान हर उस पंछी की विरासत है जो आज़ाद है और उड़ान भरना चाहता है. शनिवार, 15 अगस्त 2015. उधर जाएंगे, या . जो जज़्बात ज़ेरे-बह् र आएंगे. नज़र में समंदर नज़र आएंगे. ज़रा और नज़दीक़ आ जाएं दिल. नक़ूशे-मुहब्बत उभर आएंगे. शबो-शब हमें याद करते रहें. ख़ुदा की क़सम, दिन संवर आएंगे. रखेंगे कहां तक हमें मुंतज़िर. कभी तो मियां राह पर आएंगे. इधर घर हमारा, उधर मैकदा. उधर जाएंगे या इधर आएंगे? बिठाया जिन्होंने तुझे तख़्त पर. वही क़ब्र तक छोड़ कर आएंगे. मुअज़्ज़िन! न दीजो अज़ां ज़ोर से. शब्दार्थ:. इसे ब्ल&#23...Twitter प...

INTERNAL PAGES

sureshswapnil.blogspot.com sureshswapnil.blogspot.com
1

साझा आसमान : 12/02/12

http://www.sureshswapnil.blogspot.com/2012_12_02_archive.html

साझा आसमान. साझा आसमान हर उस पंछी की विरासत है जो आज़ाद है और उड़ान भरना चाहता है. रविवार, 2 दिसंबर 2012. ख़ुदा न ख़्वास्ता . ख़ुदा न ख़्वास्ता अपनी पे आ गए होते. बवंडरों की तरह सब पे छा गए होते. तुम्हारा शुक्रिया के: हम से बेनियाज़ रहे. नज़र मिलाते तो दिल में समा गए होते. हमें उम्मीद नहीं ख़ल्क़-ए-ख़ुदा से कोई. नमाज़ पढ़ते तो तुमको न पा गए होते. हमें ख़ुदाई से परहेज़ है, ग़नीमत है. जुनूँ तो वो: है के: हस्ती मिटा गए होते. समझ सके न कभी अहले सियासत हमको. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. 5 माह पहले. अर्श&#1...

2

साझा आसमान : 12/15/12

http://www.sureshswapnil.blogspot.com/2012_12_15_archive.html

साझा आसमान. साझा आसमान हर उस पंछी की विरासत है जो आज़ाद है और उड़ान भरना चाहता है. शनिवार, 15 दिसंबर 2012. दीवाने लोग हैं . दीवाने लोग हैं जो हमको दीवाना समझते हैं. जुनूं - ए - क़ैस को परियों का अफ़साना समझते हैं. अगर दिल में बसे हैं वो: तो मग़रिब क्या है मशरिक़ क्या. के: हम तो बुतकदे को भी सनमख़ाना समझते हैं. हमारी शाइरी पे जो नज़र रखते हैं बरसों से. उम्मीद- ओ- सब्र का हमको वो: पैमाना समझते हैं. मगर हम इस से बेहतर फ़ौत हो जाना समझते हैं. सुरेश स्वप्निल. शब्दार्थ:. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. कबीर जयंत...अर्...

3

साझा आसमान : 12/11/12

http://www.sureshswapnil.blogspot.com/2012_12_11_archive.html

साझा आसमान. साझा आसमान हर उस पंछी की विरासत है जो आज़ाद है और उड़ान भरना चाहता है. मंगलवार, 11 दिसंबर 2012. तू हिमाला हुआ है. अपनी बेताबियों से डरते हैं. उनकी ग़ुस्ताखियों से डरते हैं. बुत- ए- ग़ुरूर बन गए रहबर. और फिर बिजलियों से डरते हैं. रश्क़ किस-किस से कीजिए साहब. अपनी रुस्वाइयों से डरते हैं. रिज्क़ तक लुट रहा है राहों पे. ऐसी आज़ादियों से डरते हैं. दाल छोड़ें के: बेच दें बच्चे. लोग मंहगाइयों से डरते हैं. कब - कहाँ - कौन जला दे बस्ती. शहर दंगाइयों से डरते हैं. सुरेश स्वप्निल. नई पोस्ट. अर्श  पर...हम ...

4

साझा आसमान : 12/05/12

http://www.sureshswapnil.blogspot.com/2012_12_05_archive.html

साझा आसमान. साझा आसमान हर उस पंछी की विरासत है जो आज़ाद है और उड़ान भरना चाहता है. बुधवार, 5 दिसंबर 2012. हमराह-ए-हक़ परस्त. नासेह की तरह हुस्न-फ़रामोश नहीं हैं. ख़ुम भर के पी चुके हैं प' मदहोश नहीं हैं. ये: जाम-ए-हक़ीक़ी है ईनाम-ए-इबादत. वैसे हम आदतन शराबनोश नहीं हैं. हम काबुल-ओ-बग़दाद में येरूशलेम में. हमराह-ए-हक़ परस्त हैं ख़ामोश नहीं हैं. हम हैं तो कायनात-ए-इश्क़ है अभी क़ायम. सर हाथ पे रखते हैं दिल-फ़रोश नहीं हैं. हुस्न-ए-ख़ुदा के शहर में जलवे हैं आजकल. 5 दिसं . 2012). शब्दार्थ:. नई पोस्ट. 5 माह पहले. अर्...

5

साझा आसमान : 11/24/12

http://www.sureshswapnil.blogspot.com/2012_11_24_archive.html

साझा आसमान. साझा आसमान हर उस पंछी की विरासत है जो आज़ाद है और उड़ान भरना चाहता है. शनिवार, 24 नवंबर 2012. अपने घर भी रहा कीजिए. और उम्मीद क्या कीजिए. हो सके तो वफ़ा कीजिए. हाथ आए न जब काफ़िया. दिल से इस्लाह लिया कीजिए. कब तलक दिल के दुखड़े सुनें. कुछ नया भी कहा कीजिए. दिन-ब-दिन दिल-ब-दिल दर-ब-दर. अपने घर भी रहा कीजिए. दिल में आ ही गए हैं तो ख़ैर. अब यहीं बोरिया कीजिए. ऐ अदम आज तो बख्श दे. वो हों मेहमाँ तो क्या कीजिए. हम चले उनकी आग़ोश में. सुरेश स्वप्निल. शब्दार्थ:. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. अर्श  प...हम ...

UPGRADE TO PREMIUM TO VIEW 14 MORE

TOTAL PAGES IN THIS WEBSITE

19

LINKS TO THIS WEBSITE

sureshswapnil2.blogspot.com sureshswapnil2.blogspot.com

साझी धरती : 05/07/15

http://sureshswapnil2.blogspot.com/2015_05_07_archive.html

साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. गुरुवार, 7 मई 2015. हर्क्युलिस के कंधे. धरती थर-थर कांप रही है. मनुष्य के भय से. और मनुष्य. प्रकृति के प्रकोप से. हर्क्युलिस के कंधे झुक गए हैं. बोझ से. बार-बार पांव फिसल जाता है. उस बूढ़े देवता का. और मुश्किल यह है. कोई नया देवता. पैदा ही नहीं हुआ. लाखों वर्ष से . दोष किसका है, पता नहीं. वास्तविकता यह है. कि बार-बार खुल जाते हैं. धरती के अधपके घाव. धरती की. सवाल यह है कि. इस मरहम-पट्टी में. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. जीवन-स&#...

sureshswapnil2.blogspot.com sureshswapnil2.blogspot.com

साझी धरती : 11/20/14

http://sureshswapnil2.blogspot.com/2014_11_20_archive.html

साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. गुरुवार, 20 नवंबर 2014. ईश्वर का अवतार! भ्रम कहां टूटते हैं. इस देश में? एक भ्रम टूटता लगता है. तो और सौ नए भ्रम. पैदा कर दिए जाते हैं. समाज के हर छोर से. प्रकट हो जाते हैं. भ्रमों के समर्थक. भीड़ बढ़ती चली जाती है. हर भगवा, हर हरे रंग के लिबास वालों के. इर्द-गिर्द! जो लोग बिना भ्रम के. जीना चाहते हैं. वे क़रार दिए जाते हैं. धर्म और राष्ट्र के शत्रु. यहां तक कि आतंकवादी भी! शासक-वर्ग चाहता है. और हम हैं. एक नया भ्रम. जीवन-स&#2...

sureshswapnil2.blogspot.com sureshswapnil2.blogspot.com

साझी धरती

http://sureshswapnil2.blogspot.com/2015/05/2915-flipkart-httpwww.html

साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. शनिवार, 2 मई 2015. नमस्कार, मित्रों! Pid=9789384159115&icmpid=reco pp same book book 3&ppid=9789384159146. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). हमारी वाणी का क्लिक बटन. मुखपृष्ठ. मेरी ब्लॉग सूची. साझा आसमान. 1 माह पहले. 160;&#160...

sureshswapnil2.blogspot.com sureshswapnil2.blogspot.com

साझी धरती : 11/07/14

http://sureshswapnil2.blogspot.com/2014_11_07_archive.html

साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. शुक्रवार, 7 नवंबर 2014. असंभव है. समुद्र की तलहटी को. अंतरिक्ष में छलांग लगाना. और अपनी मुट्ठी में. चांद-तारे क़ैद कर लाना. संसार की नवीनतम तकनीक. और सर्व-सक्षम मशीनों. और सबसे शक्तिशाली. मनुष्य के लिए. यहां तक कि. कवि के मन. और कल्पनाशक्ति के लिए भी! आसान है. असंभव को लक्ष्य बना कर. स्वयं को. और समाज को. भ्रमित कर लेना! सुरेश स्वप्निल. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. जीवन-साथ...160;&#160...

sureshswapnil2.blogspot.com sureshswapnil2.blogspot.com

साझी धरती : 11/06/14

http://sureshswapnil2.blogspot.com/2014_11_06_archive.html

साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. गुरुवार, 6 नवंबर 2014. हरसिंगार: दो कविताएं. हरसिंगार : एक. ठीक नहीं. मन को हरसिंगार. बना लेना. सारी संवेदनाएं. झर जाती हैं. धीरे-धीरे. और तुम्हें. पता भी नहीं. चलता कभी! हरसिंगार: दो. क्या फ़ायदा. हरसिंगार होने से. अब यहां. दुआ मांगने भी. नहीं आते. कोई आंचल. नहीं फैलाता अब. सुंदरता बटोरने! सुरेश स्वप्निल. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मुखपृष्ठ. जीवन-सा...160;&#160...

sureshswapnil2.blogspot.com sureshswapnil2.blogspot.com

साझी धरती : 11/18/14

http://sureshswapnil2.blogspot.com/2014_11_18_archive.html

साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. मंगलवार, 18 नवंबर 2014. शास्त्र या शस्त्र. और शिष्टाचार के विपरीत. कहना पड़ सकता है. आज मुझे. कुछ अ-सांस्कृतिक. और अ-श्लील शब्द. संभवतः, उधार लेकर. अपने शत्रुओं की भाषा से. शस्त्र भी उठाने पड़ सकते हैं. हिंस्र पशुओं के समक्ष. शब्द असफल हो जाते हैं. शास्त्र या शस्त्र. चुनाव तो करना ही होगा. सुरेश स्वप्निल. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मुखपृष्ठ. 1 माह पहले. जीव...

charchamanch.blogspot.com charchamanch.blogspot.com

चर्चामंच: "एक चिराग मुहब्बत का" {चर्चा - 1984}

http://charchamanch.blogspot.com/2015/05/1984.html

Saturday, May 23, 2015. एक चिराग मुहब्बत का" {चर्चा - 1984}. मित्रों।. शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।. देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). एक चिराग मुहब्बत का . नयी उड़ान. विनती है तुझसे. कण कण में तेरा वास प्रभू. यही सुना है बचपन से. फिर भी इतना अंतर क्यूं. धनिक और ग़रीबों में. होती है बहुत होती है. अंदर ही अंदर. किसी को बहुत ही. परेशानी होती है. उलूक टाइम्स. पर सुशील कुमार जोशी. बुजुर्गों का. भटक रहा सड़कों पर. बीता हुआ कल. चांदनी रात. मन की व्यथा. अख्तर अली. विव&#237...

jindagikeerahen.blogspot.com jindagikeerahen.blogspot.com

जिंदगी की राहें: 05/11/15

http://jindagikeerahen.blogspot.com/2015_05_11_archive.html

Monday, May 11, 2015. दो क्षणिका. खाली कनस्तर सी हो गयी. तुम्हारी स्मृतियाँ, झूठी - सच्ची. रखूं किसी अलमारी में, या. या, कबाड़ी वाले को ही न बेच दूं? ऐसे ही एक ख्याल :). मेरी हथेली में. है कटी-फटी रेखाएँ. जीवन, भाग्य और प्रेम की. पर है सिर्फ एक. खुशियों का आभासी द्वीप. अंगूठे के नीचे. ठीक बाएं कोने पर! उम्मीदें जवां हैं :). प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: अलमारी. क्षणिका. Subscribe to: Posts (Atom). मुकेश कुमार सिन्हा. मेरे ब्लॉग. जिंदगी की राहें. मन के पंख. जाड़े की श&#...Kalam ya ki talwar:.

jindagikeerahen.blogspot.com jindagikeerahen.blogspot.com

जिंदगी की राहें: 06/09/15

http://jindagikeerahen.blogspot.com/2015_06_09_archive.html

Tuesday, June 9, 2015. मेघ की आहट में. मचलता मोर. मेरे रंगीले सपने. जैसे मोर के सुनहले पंख! मेरी उम्मीद. जैसे छोटा सा उसका. तिकोना चमकता मुकुट! मेरी वास्तविकता. नाचते मोर के भद्दे पैर! नजर पड़ी जैसे ही. उन कुरूप पैरों पर. रुक गया नाचना थिरकना. उम्मीद सपने और वास्तविकता के साथ! मैं मोर नहीं उसका भद्दा पैर! प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. Subscribe to: Posts (Atom). कविता कोश पर मुकेश कुमार सिन्हा की कवितायें. मुकेश कुमार सिन्हा. मेरे ब्लॉग. जिंदगी की राहें. मन के पंख. Kalam ya ki talwar:. कल अपन&#2368...

jindagikeerahen.blogspot.com jindagikeerahen.blogspot.com

जिंदगी की राहें: 06/26/15

http://jindagikeerahen.blogspot.com/2015_06_26_archive.html

Friday, June 26, 2015. क्षणिकाएं. मेरी राख पर. जब पनपेगा गुलाब. तब 'सिर्फ तुम' समझ लेना. प्रेम के फूल! इन्तजार करूँगा सिंचित होने का :). मेरी इच्छाएं रहती है हदों में,. पर नींद में कर जाता हूँ. सीमाओं का अतिक्रमण! हदों के पार :). कल रात ख़्वाबों के बुने स्वेटर. पर भोरे भोरे एक फंदा उतरा. सारे सपने ही उधड़ते चले गये. चलो गर्मी आ गयी इस रात सपनों का पंखा चलेगा. प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: इच्छा. क्षणिकाएं. Subscribe to: Posts (Atom). मुकेश कुमार सिन्हा. मेरे ब्लॉग. मन के पंख. जाड़&...कल अपन&#2...

UPGRADE TO PREMIUM TO VIEW 48 MORE

TOTAL LINKS TO THIS WEBSITE

58

OTHER SITES

sureshsundram.blogspot.com sureshsundram.blogspot.com

Suresh Sundram

Saturday, September 21, 2013. Part 2 of a series “Pressing on with Christ” from the Book of Philippians. For to me, to live is Christ. And to die is gain. Let us live in Christ, live with Christ and live for Christ. Let Christ be a present reality and the center of our lives. Our Christian experience is not something that goes around us but in us. So what can we learn about “Becoming like Christ” in Philippians chapter 2? Serve like Christ (2:1-4). Have the mind of Christ (2:5). Salvation is a gift recei...

sureshsuppliers.com sureshsuppliers.com

sureshsuppliers.com - This website is for sale! - sureshsuppliers Resources and Information.

This page provided to the domain owner free. By Sedo's Domain Parking. Disclaimer: Domain owner and Sedo maintain no relationship with third party advertisers. Reference to any specific service or trade mark is not controlled by Sedo or domain owner and does not constitute or imply its association, endorsement or recommendation.

sureshsuvarna.com sureshsuvarna.com

Real Life

From a cameraman at Bombay Doordarshan. To TV serials and International films, Suresh Suvarna. Has come a long way. The Silver Screen was his ultimate goal yet after making an indelible niche in the movie industry, Suresh. Is anxious and ambitious, and wants to excel further. During his initial days with Bombay Doordarshan. Suresh did 162 episodes of Tara, one of the most popular serials on Zee TV. After Tara, there was no looking back. Suresh. To peruse through his biography, please click here.

sureshsv.freeshell.org sureshsv.freeshell.org

Suresh V

My Travelogues, Wildlife Photographs. In these pages, you'll see my old collection of travelogues. I do upload photographs now and then. I hope you enjoy them as much as I did doing them. Thanks for visiting. - Suresh V. All old travelogues are here. All wildlife photographs are here. Wildlife sighting lists from Jan 2006 are here.

sureshswaghmore.blogspot.com sureshswaghmore.blogspot.com

sureshwaghmore

Bas karo yaar.bahut hogaya. Wednesday, May 7, 2008. Some of my regular visiting websites:. Http:/ googleblog.blogspot.com/2008/04/what-makes-design-googley.html. Http:/ www.webdesignfromscratch.com/process.cfm. Http:/ www.masternewmedia.org/information design/information-design-principles/web-20-design-simple-social-design-components-20071017.htm. Http:/ www.alistapart.com/topics/design/userinterfacedesign/. Http:/ www.digital-web.com/topics/information architecture. Tuesday, May 6, 2008.

sureshswapnil.blogspot.com sureshswapnil.blogspot.com

साझा आसमान

साझा आसमान. साझा आसमान हर उस पंछी की विरासत है जो आज़ाद है और उड़ान भरना चाहता है. शनिवार, 15 अगस्त 2015. उधर जाएंगे, या . जो जज़्बात ज़ेरे-बह् र आएंगे. नज़र में समंदर नज़र आएंगे. ज़रा और नज़दीक़ आ जाएं दिल. नक़ूशे-मुहब्बत उभर आएंगे. शबो-शब हमें याद करते रहें. ख़ुदा की क़सम, दिन संवर आएंगे. रखेंगे कहां तक हमें मुंतज़िर. कभी तो मियां राह पर आएंगे. इधर घर हमारा, उधर मैकदा. उधर जाएंगे या इधर आएंगे? बिठाया जिन्होंने तुझे तख़्त पर. वही क़ब्र तक छोड़ कर आएंगे. मुअज़्ज़िन! न दीजो अज़ां ज़ोर से. शब्दार्थ:. इसे ब्ल&#23...Twitter प...

sureshswapnil2.blogspot.com sureshswapnil2.blogspot.com

साझी धरती

साझी धरती. सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्. शनिवार, 15 अगस्त 2015. रख ले, भैये! यह आज़ादी. रख ले, भैये! यह आज़ादी तू ही रख ले. लूट-मार कर खाने वाली. सब का हक़्क़ दबाने वाली. सब का गला काटने वाली. हर आज़ादी. तू ही रख ले! लाल क़िले के ऊपर चढ़ जा. हाथ उठा कर. खुल कर चिल्ला. जितना झूठ बोल सकता है. ज़ोर-ज़ोर से बोल आज सब. तेरा दिन है! हमको ऐसी आज़ादी तो. नहीं चाहिए. आटा-दाल, सब्ज़ियां ग़ायब. हर ग़रीब की थाली ख़ाली. हर किसान के माथे पर. पड़ रही लकीरें. रख ले, भैये! लड़ कर, भिड़ कर. और वह भी.

sureshsynthetics.com sureshsynthetics.com

Welcome to Suresh Synthetics

suresht.blogspot.com suresht.blogspot.com

Bamboo-zled

View my complete profile.