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समालोचन: सहजि सहजि गुन रमैं : गीत चतुर्वेदी
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2404;। समालोचन के पांच साल ।।. अरुण देव. ई-पता : devarun72@gmail.com. समालोचन साहित्य की पत्रिका है. प्रकाशन के लिए. स्तरीय, अप्रकाशित. रचनाएँ ही विचारयोग्य हैं. ( पूर्वप्रकाशित रचना भेजते हुए प्रकाशन का सन्दर्भ या लिंक अवश्य दें). प्रकाशन के लिए रचनाएँ वर्ड फाइल तथा यूनिकोड हिंदी फॉट में ई -मेल से भेजी जा सकती हैं. सम्पर्क :. 5/ himalayan colony (nehar colony). Ll इस सप्ताह ll. सहजि सहजि गुन रमैं : गीत चतुर्वेदी. हिंदी की प्रतिष्ठा प्राप्...कविता भाषा की मिट्ट&#...कविताएँ. समीक्षा. सुमन केशर...हरि...
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जीवन जैसा मैंने देखा: नौका
http://vimlatiwari.blogspot.com/2008/01/blog-post_08.html
जीवन जैसा मैंने देखा. मन की चपल गति के साथ रूप बदलते भाव चित्र. मेरी कविता. Tuesday 8 January 2008. इस तट पर क्यों नौका बाँधी. कब तक यहाँ ठहरना बाकी. नाम पता कोई यदि पूछे. परिचय अपना क्या दूँ साथी. मुझे बता दो आज सखे तुम. किस की नौका , कौन है साथी. विमला तिवारी 'विभोर'. Labels: कविता. जेपी नारायण. बांधों न नाव इस ठांव बंधु,. पूछेगा सारा गांव बंधु. 8 January 2008 at 1:44 PM. Hanji,sahi hai,jeevan nauka meri apni,chalti hai nit din, chalne do,rokun na kahi bhich mein,ab more prabhu se mohe milne do. मí...