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कर्मनाशा: चाभियों की तरह गुम हो जाते है वादे : रीता पेत्रो की कवितायें
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शनिवार, 23 मार्च 2013. चाभियों की तरह गुम हो जाते है वादे : रीता पेत्रो की कवितायें. रीता पेत्रो की पाँच कवितायें. अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह). ०१- तुम्हारे बिना. इस घर में. जो है खाली और जमाव की हद तक ठंडा. मुझे देती है गर्माहट. केवल तुम्हारी जैकेट।. ०२- मत चाहो प्रतिज्ञायें. मुझसे मत चाहो प्रतिज्ञायें. चाभियों की तरह गुम हो जाते है वादे. मुझसे मत चाहो सतत प्रेम. पास ही दुबकी पड़ी हैं. अनंतता और मत्यु की छायायें. मत चाहो कि मैं कहूँ अनकहे शब्द. चाहो तो बस इतना. हमने पी कॉफ़ी. ०५- पूर्णत्व. कवितì...
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असुविधा....: सुजाता की नौ कविताएँ
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असुविधा. समकालीन कविता की देहरी. अभी हाल में. विजेट आपके ब्लॉग पर. शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014. सुजाता की नौ कविताएँ. दिल्ली विश्विद्यालय के श्यामलाल कालेज में पढ़ा रही सुजाता ब्लॉग जगत में अपने चोखेरबाली. तुम्हे चाहिए एक औसत औरत. न कम न ज़्यादा. नमक की तरह ।. उसके ज़बान हो. उसके दिल भी हो. उसके सपने भी हो. उसके मत भी हों. मतभेद भी. उसके दिमाग हो ।. उसके भावनाएँ भी हों. और आँसू भी ।. ताकि वह पढे तुम्हे और सराहे. वह बहस कर सके तुमसे और. तुम शह-मात कर दो. ताकि समझा सको उसे. ताकि वह रो सके. मैं थी. अब भी गढ&...
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दयार: चिट्टा मुकुट
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Friday, August 14, 2015. चिट्टा मुकुट. मुदित सेठी. दा चारकोल कनै पेंसला नै बणाह्या इक स्केच कनै इक अंग्रेजी कविता।. कविता दा पहाड़ी कनै हिंदी अनुवाद तेज सेठी. जाई नै दूर बद्दळां तैं उप्पर. खड़ोत्तीयो उच्ची पक्की भगत*. इक्क चट्टान दूह्री. बैंगणी सलेट्टी भूरी. लपो:ह्यीयो वर्फा नै चुफीर्दीया. झाक्का करदी झरोखुये जे:ह ते. धूरीया दे जम्मेयो चोळे विच्चे ते. वाह भई क:देह्या छैळ. हया चिट्टा मुकुट. भगत : ठिण्ड या बट्टण्क (बटण्क) बटंक. स्थित है ऊंची सशक्त दृढ़-तत्पर. मुड़ी हुई. कितना सुन्दर. Friday, August 14, 2015.
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आवारा: January 2017
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27 जनवरी 2017. यायावर #2. ऐसे ही सतायेगी? वह अपनी आँखें भींच लेता है, उसकी मुठ्ठीयां कस जाती हैं और वह पसीने से तर बतर हो जाता है।. Yayawar #मुंबईडायरी. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: मुंबईडायरी. 25 जनवरी 2017. यायावर #1. दस रुपये means ten rupees? और बुढ़िया ने दस रुपये निकालकर उसे पकड़ा दिये।. There's nothing wrong, what the hell is the problem with you? This is not the first time that I am touching you.". उसनí...
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आवारा: January 2013
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30 जनवरी 2013. गुमशुदा तलाश. हर बार हो जाती हो तुम गुमशुदा,. कभी प्रेम के बनाये सामंती पन्नों में,. तो कभी संदेह की उग आई नागफनी में,. और मैं ढूंढता ही रहता हूँ तुम्हे,. गुम गयी गलियों में,. धूल उड़ाती सड़कों पर,. कभी कभी पूछ आता हूँ तुम्हारा पता,. सपने में आने वाली उस परी से भी,. जो बिलकुल तुम्हारी ही तरह दिखती है,. खंगालता आता हूँ डायरी के तुम्हारे पन्ने,. जो अब पीले पड़ गए हैं,. तुम्हारी याद में,. और तुम्हारी सांसे फिर,. ताज़ा होकर महकने लगती हैं,. करता गुमशुदा तलाश।. 1 टिप्पणी:. 29 जनवरी 2013. बैठत...
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आवारा: February 2016
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19 फ़रवरी 2016. तिरंगा. म्हारा मरना बेकार गया दोस्त,. मुझे आज फिर अफ़सोस है,. कल भी था, आगे भी रहेगा,. कि तुम्हारी अंतिम इक्षा के अनुरूप,. मैं कुछ भी ना कर सका,. ना ही दे सका अपनी जान,. और ना ले सका,. मैं भी तुम्हारे साथ वहीं,. उन खंडहरों के बीच,. काली रात मे,. गोलियों के बीच,. मर गया था,. अपने उस दोस्त की आँखों में देखते हुए,. जिसने मेरे मूह को दबा रखा था,. की मेरी वजह से और जानें ना जायें,. उसकी आँखों के आँसू,. लेकिन उन्हे भी मैं,. मुझे माफ़ कर देना,. आज भी माँ,. उसके पास,. और तिरंगा,. या फि...
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क्षणिका: अग्निपथ... अग्निपथ...अग्निपथ...
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क्षणिका. मंगलवार, फ़रवरी 07, 2012. अग्निपथ. अग्निपथ.अग्निपथ. उन्होंने हिमाचल की पत्रकारिता में अपना एक अलग मुहावरा विकसित किया। समाचार पत्रों के बीहड़ में एक. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). मेरे बारे में. Dharamshala, HP, India. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. शिवरात्रि महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं. आखिर खींच लाई दोस्ती की डोर. कुछ याद आया? कबाड़खाना. 1 दिन पहले. 6 दिन पहले.
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